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Monday, August 10, 2020

चलो मन वृंदावन की ओर

                                     

                                                चलो मन वृंदावन की ओर

- #शशिप्रभा तिवारी बनारस घराने के विभूति पंडित राजन मिश्र और पंडित साजन मिश्र हैं। उन्होंने भजन ‘चलो मन वंृदावन की ओर‘ को बहुत ही सुरीले अंदाज में गाया है। वैसे तो इसे कई कलाकारों ने गाया है। लेकिन, मिश्र बंधुओं ने जिस तन्मयता से गाया है, वह बरबस ही सुनने वाले को अपने सुरों में सराबोर कर देता है। वैसे संगीत और नृत्य एक दूसरे के सहचर हैं। उस शाम युवा कथक नर्तक रूद्र शंकर मिश्र ने इस भजन पर भाव पेश किया। नृत्य की यह समाप्ति भावभींनी थी।

भक्ति रस से ओत-प्रोत भजन ‘चलो मन वृंदावन की ओर है। इसे नृत्य में पिरोते हुए, नर्तक रूद्र शंकर ने चक्कर के साथ आरंभ किया। उन्होंने श्रीराम और कृष्ण के रूपों का निरूपण किया। उन्होंने भक्त के समर्पित भाव का चित्रण किया। नृत्य में सधे चक्करों का प्रयोग मनोरम था। दरअसल, किसी वरिष्ठ कलाकार के गाए बंदिश या रचना को नृत्य में पिरोने का चलन हमेशा से रहा है। पर, बनारस घराने के कलाकार का यह पहल सराहनीय है। क्योंकि, कथक नृत्य के क्षेत्र में बनारस घराना आज हाशिये पर है। पर रूद्र शंकर और इनके हमउम्र अन्य युवा कलाकारों की धमक से एक नई उम्मीद जगी है। खासतौर पर कला रसिकों के बीच। बनारस घराने के कथक नर्तक बंधु पंडित माता प्रसाद मिश्र और पंडित रविशंकर मिश्र के शिष्य हैं-कथक नर्तक रूद्र शंकर मिश्र। उन्होंने अपनी प्रस्तुति का आगाज शिव कवित्त से किया। कवित्त-‘जय महेश्वर जय शिव शंकर‘ में रूद्र ने शिव के बारह रूपों को दर्शाया। शुरू में तबले वादन के उठान के अंदाज में उन्होंने मंच प्रवेश किया। शिव के बारह ज्योर्तिलिंगों-विश्वनाथ, नागेश्वर, विश्वेश्वर, सोमनाथ, ओंकारेश्वर, महेश्वर, रामेश्वरम के नाम पर आधारित उन रूपों को भंगिमाओं और हस्तकों से निरूपित किया। अगले अंश में, उन्होंने शिव वंदना ‘डमरू बाजै घंुघरू बाजै‘ पर शिव के रूप को प्रदर्शित किया। उपज में पैर का काम पेश किया। उनका बैठकर सम लेने का अंदाज मोहक था। यह बनारस घराने की खासियत है, जिस रूद्र ने बखूबी अपनाया है। विलंबित तीन ताल में उन्होंने शुद्ध नृत्त पेश किया। रचना ‘ता-किट-ता-धा‘ के बोल पर चक्कर के साथ खड़े पैर का काम रूद्र शंकर ने पेश किया। एक अन्य रचना में ‘गिन-गिन-धा‘ के साथ ‘धा-धिंन्ना‘ का काम नृत्य में प्रस्तुत किया। इसमें रूद्र ने पैर के चलन का अनूठा अंदाज पेश किया। नृत्य में एक पैर के चक्कर का प्रयोग सराहनीय था। उन्होंने अश्व की गत को पैर के काम में बखूबी दर्शाया। लड़ी में लय के दर्जे को पंजे और एड़ी के काम के जरिए बहुत महीन अंदाज में पेश किया। वहीं द्रुत लय में परण पेश किया। इसमें पलटे, उत्प्लावन, चक्कर का प्रयोग सधे तरीके से किया। कथक नर्तक रूद्र शंकर मिश्र प्रतिभावान नर्तक हैं। वह मेहनती और लगनशील हैं। वह आत्मविश्वास और उत्साह से भरे हुए हैं। उनके नृत्य में चमक, दम, स्फूर्ति है। समय के साथ-साथ उन्हें अच्छे मंचों पर प्रस्तुति के अवसर मिलेंगें तो वह बहुत आगे जाएंगें। ऐसी उम्मीद की जा सकती है। बीते शाम नौ अगस्त 2020 को संकल्प में कथक नर्तक रूद्र शंकर मिश्र ने कथक नृत्य पेश किया। इस कार्यक्रम का आयोजन विधा लाल कथक एक्पोनेंट ने अपने फेसबुक पेज पर किया। इस आयोजन में आईपा और नुपूर अकादमी ने भी अपने सहयोग दिया है।

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