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Tuesday, November 24, 2020

shashiprabha: युवा कलाकारों का साथ -- शशिप्रभा तिवारी

shashiprabha: युवा कलाकारों का साथ -- शशिप्रभा तिवारी:                                                         युवा कलाकारों का साथ                                                          शशिप्र...

युवा कलाकारों का साथ -- शशिप्रभा तिवारी

                                                       युवा कलाकारों का साथ

                                                         शशिप्रभा तिवारी

बीते शाम 22नवंबर 2020 को संकल्प में कथक नर्तक राहुल शर्मा ने कथक नृत्य पेश किया। इस कार्यक्रम का आयोजन विधा लाल कथक एक्पोनेंट ने अपने फेसबुक पेज पर किया। इस आयोजन में आईपा, आर्गेनिक कृषि, हर्बीलाइट और नुपूर अकादमी ने भी अपने सहयोग दिया है। नृत्य समारोह ‘संकल्प‘ में इस रविवार की शाम राहुल शर्मा ने अपने नृत्य से समां बांध दिया। वाकई युवा गुरू के युवा शिष्य राहुल के नृत्य में अच्छी तैयारी दिखी।



नर्तक राहुल शर्मा ओज और ऊर्जा से भरे हुए नजर आए। उनके गुरू व कथक नर्तक कुमार शर्मा ने अपने वक्तव्य में सही कहा कि भारत युवाओं का देश है। भारतीय कलाओं और परंपराओं को संभालने का दायित्व युवा गुरू, शिष्य और कलाकारों पर है। हमारा काम कथक और अन्य शैलियों के साथ प्रयोग के लिए ज्यादा जाना जाता है। हमें लोग कथक राॅकर्स के नाम से भी जानते हैं। इस धरोहर को संवारने और समृद्ध बनाए रखने के लिए युवा कलाकारों को मंच प्रदान करना और प्रोत्साहन देना जरूरी है। आने वाले समय में संस्कृति की बागडोर इन्हीं के कंधों पर होगी।

युवा कथक नर्तक राहुल शर्मा पिछले सात-आठ सालों से अपने गुरू कुमार शर्मा के सानिध्य में है। वह सीखने के साथ-साथ परफाॅर्म भी करते रहे हैं। वह संभावना से भरे नजर आते हैं। उन्होंने संकल्प के आयोजन के दौरान आकर्षक नृत्य पेश किया। उनके साथ संगत करने वाले कलाकारों में शामिल थे-गायन व हारमोनियम पर कुमार शर्मा, तबले पर ऋषभ शर्मा और पढंत पर शिवानी शर्मा।

कथक नर्तक राहुल शर्मा ने अपनी पेशकश का आरंभ ध्यान श्लोक से किया। नाट्यशास्त्र के श्लोक ‘आंगिकम् भुवनस्य‘ के संदर्भ को नृत्य में पिरोया। इसमें उन्होंने भंगिमाओं और मुद्राओं के जरिए जटाधारी, नीलकंठ, गंगाधर, नटराज, त्रिशूलधर को बखूबी दर्शाया। उन्होंने पंद्रह मात्रा के ताल पंचम सवारी को शुद्ध नृत्त में प्रस्तुत किया। विलंबित लय में उपज को पेश किया। थाट में नायक के खड़े होने का अंदाज मोहक था। इसमें सरपण गति, चक्कर और उत्प्लावन का प्रयोग सहज था। वह हर रचना में सम पर आकर, वहीं से अगली रचना की शुरूआत कर रहे थे। प्रस्तुति के क्रम में, राहुल का इतना ऊर्जावान होना अनूठा नजर आ रहा था। रचना ‘ता थेई थेई तत् के बोल को बखूबी नृत्य में समाहित किया। वहीं, परण आमद के पेशकश में ‘क्रान धा कत धा‘ के बोल पर प्रभावकारी काम पेश किया। नृत्य में एक ही रचना में एक व दो पैरों के जरिए चक्कर का प्रयोग करना लासानी था। 

मध्य लय में नर्तक राहुल शर्मा ने घुड़सवारी का अंदाज पेश किया। रचना ‘किट तक धिंन ना‘ में हस्तकों व पैरों के काम से घोड़े के संचालन का अंदाज पेश किया। एक से सात अंकों की तिहाई, परण ‘धा न धा‘, तीन धा से युक्त रचना को भी अपने नृत्य में शामिल किया। उन्होंने परमेलू को भी नाचा। कृष्ण और पनहारिन राधिका के भावों को ठुमरी में पेश किया। राहुल शर्मा ने ठुमरी ‘रोको न डगर मेरो श्याम‘ के अभिनय में पेश करने से पहले पृष्ठभूमि की आधार भूमि तैयार की। इसके लिए उन्होंने घूंघट, मटकी, बांसुरी, गुलेल की गतों को पेश किया। साथ ही, तिहाई में राधा, कृष्ण और छेड़छाड़ के भावों का दर्शाया। अंत में द्रुत लय में लगभग 48चक्करों की प्रस्तुति मोहक थी। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि राहुल अपनी पूरी क्षमता के साथ कथक की साधना में जुटे रहें, तो आने वाले समय में कला जगत को एक बेहतरीन कलाकार मिल पाएगा। 


Monday, November 9, 2020

shashiprabha: युवाओं के कंधे पर संस्कृति की जिम्मेदारी

shashiprabha: युवाओं के कंधे पर संस्कृति की जिम्मेदारी:                                                         युवाओं के कंधे पर संस्कृति की जिम्मेदारी                                            ...

युवाओं के कंधे पर संस्कृति की जिम्मेदारी

                                                        युवाओं के कंधे पर संस्कृति की जिम्मेदारी

                                                        शशिप्रभा तिवारी


कथक नृत्यांगना विधा लाल लेडी श्रीराम काॅलेज की छात्रा रही हैं। वर्ष 2011 में गीनिज वल्र्ड रिकार्ड में उनका नाम दर्ज हुआ, जब उन्होंने एक मिनट में 103चक्कर कथक नृत्य करते समय लगाया। उन्हें नृत्य में पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए खैरागढ़ विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक मिला है। इसके अलावा, विधा लाल को बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार, जयदेव राष्ट्रीय युवा प्रतिभा पुरस्कार, कल्पना चावला एक्सीलेंस अवार्ड व फिक्की की ओर से यंग वीमेन अचीवर्स अवार्ड मिल चुका है। विधा लाल कथक नृत्य गुरू गीतांजलि लाल से सीखा है। इनदिनों वह अपने फेसबुक पेज-विधा लाल कथक एक्पोनेंट पर आॅन लाइन डांस फेस्टीवल सीरिज 2020 का आयोजन किया है। यह नृत्य उत्सव ‘संकल्प‘ 2अगस्त को शुरू हुआ।

अब तक इस आयोजन में 14 कलाकार शिरकत कर चुके हैं। पिछले रविवार की शाम-आठ नवंबर 2020 को संकल्प में कथक नृत्यांगना स्वाति माधवन ने कथक नृत्य पेश किया। इस कार्यक्रम का आयोजन विधा लाल कथक एक्पोनेंट ने अपने फेसबुक पेज पर किया। इस आयोजन में आईपा, आर्गेनिक कृषि, हर्बीलाइट और नुपूर अकादमी ने भी अपने सहयोग दिया है। नृत्य समारोह ‘संकल्प‘ में इस रविवार की शाम स्वाति माधवन ने अपने नृत्य से समां बांध दिया। हर शाम एक नई प्रतिभा से परिचित होने का अवसर दर्शकांे को मिलता है। 

नृत्यांगना स्वाति माधवन ओज और ऊर्जा से भरी हुई नजर आई। स्वाति माधवन ने एस दिव्यसेना से भरतनाट्यम नृत्य सीखा है। वह कथक नृत्य, नर्तक मुल्ला अफसर खां से सीख रही हैं। वह सिंगापुर की फाइन आट्र्स सोसायटी और स्वर्ण कला मंदिर से जुड़ी हुई हैं। उनके गुरू नर्तक मुल्ला का कहना है कि कथक नृत्य सतत् साधना का सिलसिला है। इसे सीखने के लिए कलाकार में समर्पण और लगन की जरूरत है। तभी इस धरोहर को संवारने और समृद्ध बनाए रखने में अपना दायित्व निभा सकते हैं। क्योंकि आने वाले समय में संस्कृति की बागडोर इन्हीं के कंधों पर होगी।



जयपुर घराने के पंडित राजेंद्र गंगानी के शिष्य हैं, नर्तक मुल्ला अफसर। सो उनके नृत्य में उनके गुरू का अंदाज सहज झलकता है। और वही उनके सिखाने में भी दिखा। नृत्यांगना स्वाति माधवन के नृत्य के हर अंदाज में उनके गुरू की छाप साफ दिखाई दे रही थी। उन्होंने अपने नृत्य का आरंभ गणेश वंदना से किया। गणपति श्लोक पर आधारित पेेशकश में हस्तकों, मुद्राओं और भंगिमाओं के जरिए उन्होंने गणेश के रूप को निरूपित किया। इसके बाद, तीन ताल में शुद्ध नृत्त को पिरोया। उनकी प्रस्तुति में अच्छी तैयारी दिखी। 

उपज में पैर का काम पेश किया। सरपण गति और चक्कर का प्रयोग किया। स्वाति ने रचना ‘ता थेई तत् थेई‘ और ‘किट ता धा किट धा‘ में पैर की गतियों और आंगिक चेष्टाओं को पेश किया। वहीं, परण आमद ‘धा किट किट धा‘ में उत्प्लावन और चक्कर का प्रयोग मोहक दिखा। गणेश परण ‘गं गं गणपति‘ में गणेश के रूप का चित्रण मार्मिक था। उन्होंने गिनती की तिहाई में पैर का काम पेश किया। परण ‘कृष्ण करत तत् थेई‘ में कृष्ण की लीला को दर्शाया। परमेलू की पेशकश में पक्षी की उड़ान के साथ मयूर की गत का प्रयोग चक्करदार रचना ‘धा धा धा धित ताम‘ में सुंदर था। एक अन्य परमेलू ‘थर्रि थर्रि कूकू झनन झनन‘ को भी पूरी ऊर्जा के साथ स्वाति ने नाचा। उन्होंने पंडित राजेंद्र गंगानी की रचना ‘सावन गरजत गरजत‘ में भावों को पेश किया। इसकी कोरियोग्राफी उनके नृत्य गुरू ने की थी। इसमें भाव के साथ मयूर की गत, पलटे, चक्कर, फेरी, अर्धफेरी का प्रयोग सुघड़ता से किया। 


Sunday, November 1, 2020

shashiprabha:                                                   ...

shashiprabha:                                                   ...:                                                     कला खुशबू की तरह है                                                         शशिप्रभा तिव...

                                                   कला खुशबू की तरह है

                                                        शशिप्रभा तिवारी


भारतीय संस्कृति में या यूं कहें कि आम जीवन में विद्या आपकी सबसे बड़ी दौलत है। वाकई, विद्या या कोई गुण या कोई हुनर आपको समृद्ध बनाता है, आपको जोड़ता है, आपको आनंद देता है। और जब कला की साधना आनंद प्राप्ति के लिए की जाए तो बात ही क्या? इस कोरोना संकट काल में जब लोग मिल-जुल नहीं पा रहे हैं। ऐसे में कला की खुशबू आपके पास कभी संगीत तो कभी नृत्य तो कभी चित्र के रूप में आती है। इस खुशबू को कलाकार फूल की तरह धारण करते हैं। और लोगों तक पहुंचाते हैं। व्यक्तित्व की यह खुशबू सभी को संस्कृति और संस्कारों को भी समाहित किए रहती है। संकल्प ऐसी ही खुशबू आप तक कलाकारों के जरिए पहंुचा रहा है।


 

नृत्य समारोह संकल्प का आयोजन इनदिनों कला जगत मंे काफी चर्चित हो रही है। इस कार्यक्रम का आयोजन विधा लाल कथक एक्पोनेंट ने अपने फेसबुक पेज पर किया। इस आयोजन में आईपा, आर्गेनिक कृषि, हर्बीलाइट और नुपूर अकादमी ने सहयोग दिया है। नृत्य समारोह ‘संकल्प‘ में हर रविवार की शाम युवा कलाकार नृत्य पेश करते हैं। एक नवंबर की शाम एक नई प्रतिभा वंदना सेठ से परिचित होने का अवसर दर्शकांे को मिला।

कथक नृत्यांगना वंदना सेठ कथक नृत्यांगना व गुरू प्राची दीक्षित की शिष्या हैं। वैसे वंदना ने कृष्ण कुमार धारवाड़ और पंडित राम मोहन महाराज से भी नृत्य सीखा है। वंदना के नृत्य में लखनऊ घराने की सौम्यता, सरसता और नजाकत बखूबी झलकती है। उन्होंने कथक की बारीकियों को अपने नृत्य में सुघड़ता से समाहित किया है। संकल्प के आयोजन में वंदना ने गणेश वंदना से आरंभ किया। उन्होंने गणेश वंदना ‘सुमिरौं सिद्धि विघ्नहरण मंगल करण‘ में गणपति के रूप को दर्शाया।

तीन ताल में निबद्ध शुद्ध नृत्त को वंदना ने पेेेश किया। उन्होंने रचना ‘धा धिंन धिंन धा तिन तिन‘ में हस्तकों और पैर का काम प्रस्तुत किया। एक अन्य रचना में सलामी की गत का अंदाज मोहक था। उठान ‘थेई थेई तत् तत् ता‘ में फेरी व चक्कर के साथ बैठकर सम लिया। वंदना ने परण आमद पेश किया। ‘धा किट धा‘ के बोल से युक्त इस पेशकश में चक्कर का प्रयोग मोहक था। उन्होंने गुरू प्राची दीक्षित की रचना कवित्त पेश की। दुर्गा देवी के रौद्र रूप का चित्रण इस कवित्त में था। इसके बोल थे-घन घन घंटा बाजै, कर कर त्रिशूल साजै। इस कवित्त को वंदना सुंदर तरीके से निभाया। 

कथक नृत्यांगना वंदना ने कुछ टुकड़े, तिहाइयों और चक्रदार तिहाइयों को भी अपनी प्रस्तुति में नाचा। उन्होंने नृत्य मंे चक्करों का प्रयोग बहुत ही सधे अंदाज में किया। साथ ही, नृत्य करते हुए, वह बहुत सहज और ठहराव के साथ नजर आईं। अपनी प्रस्तुति का समापन पंडित बिंदादीन महाराज की रचना ‘ऐसे राम हैं दुखहरण‘। अपनी गुरू की नृत्य परिकल्पना को वंदना ने भाव-अभिनय में साकार किया। नृत्य में द्रौपदी वस्त्र हरण व वामन प्रसंग का निरूपण समीचीन था।