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Tuesday, December 10, 2019

कला के विस्तार का एक और आयाम



                  कला के विस्तार का एक और आयाम

                   शशिप्रभा तिवारी


               





समारोहया देवी सर्वभूतेषुलोक कला मंच में आयोजित था। इस कार्यक्रम का आयोजन सुरमंदिर की ओर से किया गया। इस समारोह में महिला कलाकारों शास्त्रीय संगीत और नृत्य पेश किया। इसमें शिरकत करने वाली कलाकारों में शामिल थीं-डाॅ अदिति शर्मा, इला शर्मा, डेल्फिन, सुधा रघुरामन, अनुप्रिया देवताले नतालिया रेमिरेज। इसके अलावा, वुसत इकबाल और कथक नृत्यांगना यामिका महेश कल्पना वर्मा नेरूदाद शिरिनप्रस्तुत किया। इस पेशकश में दास्तानगोई की दास्तान को कथक नृत्य रचना में पिरोया गया था।
धु्रपद गायिका बहनें डाॅ अदिति शर्मा और इला शर्मा ने राग परज में रचनाकान्ह कुंवर मुरलीधरऔर रचनारघुवीर धीर आयोध्या नगरको पेश किया। आलापचारी और बढ़त में राग का सौंदर्य मोहक था। उनके साथ पखावज पर मनमोहन नायक ने संगत किया।

नायिका शिरिन की कहानी के माध्यम से एक महिला की दास्तान को एक ओर वुसत इकबाल ने सुनाया, वहीं दूसरी ओर अमीर खुसरो अन्य पारंपरिक बंदिशों को आधार बनाकर नृत्य पेश किया गया। बनड़ा गीतआज नवल बन्नासे प्रस्तुति आरंभ हुई। विदाई गीतकाहे को व्याहे बिदेश‘, ‘मैं जो गई थी बीच बजरिया‘, ‘खुसरो रैन सुहाग कीके जरिए नृत्यांगनाओं ने भावों को दर्शाया। कथक नृत्यांगना यामिका महेश नेजो पिया आवन कह गएपर नायिका के विरह भावों को बखूबी दर्शाया। कथक के तोड़े, टुकड़े और तिहाइयों का प्रयोग भी यामिका ने सधे अंदाज में किया। वहीं सूफी रचनानिजाम तोरे सूरत पे मैं वारीमें नायिका के समर्पण भावों को संचारी आंगिक अभिनय के जरिए दर्शाया। इस पेशकश में कथक नृत्यांगना कल्पना वर्मा ने झूला गीतझूला किने डारो रेपर नायिका के चपल भावों को निरूपित किया। उन्होंने झूले, घंूघट सादी गतों का प्रयोग अपने नृत्य में किया। उन्होंने एक अन्य रचनामैं तो तोरे दामन लागीके माध्यम से भी नायिका शिरिन के भावों को परिपक्वता से दर्शाया। इस प्रस्तुति में नजर सादी गत का प्रयोग मोहक था। कुल मिलाकर, दिल्ली घराने के उस्ताद इकबाल अहमद की इस परिकल्पना को उनकी शिष्याओं ने गायन के माध्यम से साकार किया। जबकि, कलाकार वुसत इकबाल ने अपनी किस्सागोई अंदाज में संवाद के जरिए नायिका की कथा को बयान किया। कथक और दास्तानगोई का यह प्रयोग सराहनीय है।



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