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Thursday, April 25, 2024

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स्पिक मैके का नौवां अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन@शशिप्रभा तिवारी

                                                    स्पिक मैके का नौवां अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन

@शशिप्रभा तिवारी

पंडित हरिप्रसाद चौरसिया एवं विदुषी पद्मा सुब्रह्मण्यम के कार्यक्रम से होगा आई आई टी मद्रास में आयोजित स्पीक मेके के अधिवेशन का उद्घाटन
जब देश के अधिकांश छात्र अपनी ग्रीष्मकालीन छुट्टियों मना रहे होंगे, उस समय लगभग 1500 विद्यार्थी स्पीक मेके के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन के माध्यम से एक प्रेरणास्पद अनुभव को आत्मसात करने के उद्देश्य से एक सप्ताह के लिए भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से रू-ब-रू होंगे। 47 वर्षों से कार्यरत स्पिक मैके का 9वां अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन इस वर्ष चेन्नई स्थित आई आई टी मद्रास में 20 मई से 26 मई, 2024 तक आयोजित होना सुनिश्चित हुआ है।
इस आयोजन में भाग लेने वाले प्रतिभागी, भारतीय शास्त्रीय संगीत व लोक कला के दिग्गज गुरुओं के साथ सप्ताह भर चलने वाली बैठक और कार्यशालों के माध्यम से भारत के सांस्कृतिक विरासत की बारीकियों से परिचित होंगे। इस सम्मेलन के अंतर्गत भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायन, वादन और नृत्य के प्रतिष्ठित कलाकारों द्वारा प्रदर्शन, विभिन्न लोक-कला के शीर्ष गुरुओं द्वारा कार्यशालाएँ, व्याख्यान, क्लासिक फिल्मों की स्क्रीनिंग, शिल्प कार्यशालाएँ, योग, विरासत-यात्रा और अन्य कार्यक्रमों की शृंखला शामिल है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष के सम्मेलन में भी इस आयोजन के तहत एक पारंपरिक आश्रम जैसे वातावरण में इन कार्यक्रमों का संचालन किया जाएगा जो युवा पीढ़ी पर गहरा प्रभाव छोड़ेने में समर्थ होगा।


आईआईटी मद्रास के निदेशक, प्रोफेसर कामाकोटि ने इस सांस्कृतिक समारोह में आईआईटी मद्रास की सहभागिता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि स्पिक मैके के वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन की मेजबानी करने का अवसर पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि देश के सभी हिस्सों से बड़ी संख्या में छात्र हमारे यहाँ आएंगे।
स्पिक मैके के संस्थापक डॉ. किरण सेठ ने कहा कि आज हम इंटरनेट, सोशल मीडिया और मोबाइल फोन के माध्यम से लगातार बाह्य-जगत से जुड़े रहते हैं। सप्ताह भर ‘आश्रम’ के वातावरण में कला-गुरुओं के सानिध्य से युवा विद्यार्थियों को यहाँ अपनी अंतरात्मा से जुड़ने का अवसर मिलेगा। स्पिक मैके के इस अधिवेशन का आयोजन हर वर्ष देश के एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान में किया जाता है। सप्ताह भर चलने वाले इस संस्कृतिक उत्सव में भारत और दुनिया भर से 1500 से अधिक छात्र और स्पीक मैके के स्वयंसेवक एकत्रित होते हैं।

इस संदर्भ में संस्था की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुमन डूंगा ने बताया कि पिछले 47 वर्षों से सक्रिय रूप से कार्यरत संस्था स्पिक मैके का उद्देश्य युवाओं में भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य, योग और लोक संस्कृति जैसे विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों और कला प्रदर्शनों के आयोजन के माध्यम से युवा वर्ग में भारतीय कलात्मक धरोहर के प्रति गहरी समझ और आदर को विकसित करना है। स्कूल और कॉलेज के परिसरों में छात्रों को भारतीय विरासत में सक्रिय रूप से रूचि लेने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से स्पिक मेके से जुड़े विभिन्न स्वयंसेवक हर साल भारत और विदेशों के करीब 800 शहरों में 5000 से अधिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। यह संगठन लोगों में सेवा और निष्काम कर्म की भावना की ओर प्रेरित करता है।



इस वर्ष के अधिवेशन में पं. हरिप्रसाद चौरसिया, उस्ताद अमजद अली खान, और विदुषी पद्मा सुब्रह्मण्यम जैसे शीर्षस्थ कलाकार शामिल हो रहे हैं। कार्यक्रम के तहत टिकुली और गोंड पेंटिंग के विशिष्ट कलाकारों तथा विद्वान एन संथानगोपालन और डॉ. अलंकार सिंह जैसे प्रसिद्ध लोक कलाकारों द्वारा पांच दिवसीय कार्यशाला भी आयोगित की जाएगी। अधिवेशन के सभी प्रतिभागी भारत की सांस्कृतिक विरासत, इसके मूल्यों की गहनता को आत्मसात करने के उद्देश्य से इन गुरुओं के सानिध्य का दुर्लभ अवसर प्राप्त करेंगे। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के माध्यम से विभिन्न स्कूल और कॉलेज के छात्रों इस सम्मेलन के लिए आमंत्रित हैं।

Thursday, April 11, 2024

shashiprabha: अल्पना का आयोजन @शशिप्रभा तिवारी

shashiprabha: अल्पना का आयोजन @शशिप्रभा तिवारी:                                                                    अल्पना का आयोजन                                                         ...

अल्पना का आयोजन @शशिप्रभा तिवारी

                                                                   अल्पना का आयोजन

                                                                   @शशिप्रभा तिवारी 

पिछले दिनों अल्पना की ओर से नृत्य समारोह नृत्यांजलि आयोजित किया गया। इस समारोह में ओडिशी नृत्यांगना अल्पना नायक, गुरु राजेंद्र गंगानी और गुरु गीता चंद्रन की शिष्याओं ने मोहक नृत्य पेश किया। समारोह का मुख्य आकर्षण वसुधैव कुटुंबकम नृत्य रचना की प्रस्तुति थी। इसकी परिकल्पना गुरु अल्पना नायक ने की थी। इसमें तीनों गुरुओं की शिष्याओं ने हिस्सा लिया। यह बी सदा शिवन और कुलदीप एम पाई की संगीत रचना पर आधारित थी। तीन शैलियों में नृत्यांगनाओं अच्छा समन्वय और संतुलन पेश किया। ओडिशी, भरतनाट्यम और कथक की शैलियों का यह संुदर संरचना बनता प्रतीत हुआ। यह गुरु अल्पना ने पहली बार पेश किया था। इसे आने वाले समय में और भी परिष्कृत रूप में वह पेश करेंगीं। ऐसी उम्मीद की जा सकती है। क्योंकि अल्पना अक्सर नई रचनाएं करतीं हैं और इसे अपनी शिष्याओं के साथ प्रस्तुत करती हैं। 


नृत्यांजलि समारोह में 29 मार्च को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सभागार में गुरु अल्पना नायक की शिष्याआंे ने राम वंदना से नृत्य आरंभ किया। यह गोस्वामी तुलसीदास की रचना ‘भजमन रामचंद्र चरण सुखदाई‘ पर आधारित थी। ओडिशी संगीत में प्रस्तुत यह भक्तिरस से सराबोर थी। उनकी शिष्याओं ने आरभि पल्लवी पेश किया। यह राग आरभि और एक ताली में निबद्ध थी। यह प्रस्तुति प्रभावोत्पादक थी। जयदेव की गीत गोविंद की रचना ‘शीत कमल कुच‘ पर आधारित अगली प्रस्तुति थी। इस प्रस्तुति में शिष्याओं ने राधा और कृष्ण के भावों का संुदर चित्रण किया। यह गुरु केलुचरण महापात्र की नृत्य रचना थी। यह एक स्वस्थ पहल है कि गुरु अल्पना नायक अपने गुरु हरिचरण बेहरा के अलावा, माननीय गुरुओं की रचनाओं को अपनी शिष्याओं को सीखाती हैं। नई संभावनाओं को तलाशना अच्छा प्रयास कहा जा सकता है। इससे गुरु के व्यापक दृष्टिकोण और खुलेपन का पता चलता है। 


कथक नृत्यांगना स्वाति सिन्हा और उनकी शिष्याओं ने कथक नृत्य पेश किया। गुरु राजेंद्र गंगानी की शिष्या स्वाति सिन्हा ने कथक नृत्य का आरंभ वंदना ‘राम रघुवीर धीर अयोध्या नगर‘ किया। यह राग बागेश्वरी और चैताल में निबद्ध था। उन्होंने राग कलावती और तीन ताल में निबद्ध तराने को नृत्य में पिरोया। कथक नृत्यांगना जयपुर घराने के परण, तिहाइयों और कवित्त को विशेष तौर पर अपने नृत्य में पेश किया। उनके नृत्य में गणेश परण और गज के चलन का प्रयोग संुदर था। 

वहीं भरतनाट्यम नृत्य गुरु गीता चंद्रन की शिष्याओं ने लयात्मक भरतनाट्यम नृत्य पेश कर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज की। उन्होंने वरणम पेश किया। यह राग विहाग और आदि ताल में निबद्ध थी। यह प्रो टी आर सुब्रम्हण्यम की रचना ‘वनाक्ष नैनमिति स्वामि वेणूगोपलम पर आधारित थी। शिष्याओं ने वरणम में अभिनय और जतीस का लयात्मक प्रयोग किया। उन्होंने एक-एक भाव में कृष्ण और गोपिका के भाव को महीन अंदाज में रूपायित किया। नृत्यांगनाओं के आपसी तालमेल से यह सहज भान हो रहा था कि उनका रियाज नियमित और अनुशासित है। इसमें शिरकत करने वाली शिष्याएं थीं-मधुरा भुसुंडी, सौम्या लक्ष्मी नारायण, आनंदिता नारायण एवं यादवी शाकधर मेनन। यह नृत्य रचना गुरु गीता चंद्रन की थी।