Popular Posts

Monday, September 21, 2020

युवा कलाकारों की धमक

                                                                 

                                                               युवा कलाकारों की धमक

                                                                शशिप्रभा तिवारी


कथक नृत्य में गुरू-शिष्य परंपरा की अनवरत प्रवाह है। यह प्रवाह कला जगत में बखूबी दिखती है। कथक नृत्यांगना गौरी दिवाकर ने बतौर नर्तक अपनी अच्छी पहचान कायम की है। वह नृत्य प्रस्तुति के साथ-साथ कथक सिखा भी रहीं हैं। गौरी दिवाकर ने संस्कृति फाउंडेशन-सर्वत्र नृत्यम के माध्यम से अपनी शिष्याओं को अवसर भी देती रहीं हैं। 

बीते शाम 20सितंबर को उनकी शिष्या निदिशा वाष्र्णेय और सौम्या नारंग ने युगल कथक नृत्य पेश किया। इसकी नृत्य परिकल्पना गौरी दिवाकर ने की थी। संगीत रचना गौरी के गुरू जयकिशन महाराज की थी। जबकि, श्लोक को सुर में पिरोया था, गायक समीउल्लाह खां ने। वाकई, मंच पर जब कोई कलाकार नृत्य करता है, तब बहुत से लोगों का साथ होता है। जो पर्दे के पीछे रहकर अपना सहयोग देते हैं। 



‘संकल्प‘ का यह साप्ताहिक आयोजन विधा लाल कथक एक्पोनेंट के फेसबुक पेज पर होता है। इस आयोजन में आईपा, आॅर्गेनिक कृषि, हर्बीलाइट और नुपूर अकादमी ने भी अपने सहयोग कर रहे  हैं। गौरी दिवाकर शिष्याएं निदिशा और सौम्या ने अपनी सहज, सौम्य और नजाकत भरी प्रस्तुति से मन मोह लिया। उन्होंने अपने नृत्य में शुद्ध नृत्त की तकनीकी पक्ष को खासतौर पर पेश किया। उनके नृत्य में अच्छा ठहराव और तेज था। दोनों का आपसी तालमेल बेहतरीन था। 

निदिशा और सौम्या ने ओम श्लोक से नृत्य आरंभ किया। श्लोक ‘ओमकार विंदु संयुक्तं‘, ‘कारूण्य सिंधु भवदुखहारी‘ व ‘सर्व मंगल मांगल्ये‘ के मेलजोल से वंदना पेश किया गया। हस्तकों, मुद्राओं, भंगिमाओं के जरिए शिव, शक्ति और ओमकार को दर्शाया। लास्यपूर्ण निरूपण के साथ यह शुरूआत मनोरम थी। सोलह मात्रा के तीन ताल में उन्होंने शुद्ध नृत्त को पिरोते हुए, उपज पेश किया। पैर के दमदार काम को ‘तक-धिकिट-धा-कित-धा‘ के बोल को पिरोया। अगली रचना ‘ता थेई तत ता‘ और ‘तक थुंगा‘ का अंदाज दर्शाया। अंकों की तिहाइयों की प्रस्तुति में संतुलित और दुरूस्त पद संचालन पेश किया। इसमें एक से आठ, एक से चार और एक से सात अंकों की तिहाइयां थीं। रचना ‘थैइया थैइया थैइया थेई ता धा‘ और ‘तक दिगित धा‘ में पंजे और एड़ी का काम आकर्षक था। उन्होंने एक अन्य रचना को नृत्य में शामिल किया। इसमें दस चक्करों का प्रयोग प्रभावकारी था। वहीं ‘धित ताम थंुगा थुंगा ता धा और गिन धा का अंदाज देखते बन पड़ा। 

वास्तव में, उभरते युवा कलाकारों से यही उम्मीद रहती है कि वह तकनीकी पक्ष की बारीकियों को समझें और गुरू के मार्गदर्शन में इसे ग्रहण करें। नृत्यांगना गौरी दिवाकर खुद एक अच्छी कलाकार हैं। और कला जगत में प्रतिष्ठित होने के बावजूद अपने गुरूओं से दिशा निर्देश ग्रहण करने के लिए उत्सुक रहती हैं। ऐसे में निदिशा और सौम्या से यह उम्मीद रहेगी कि वो सीखने और रियाज के क्रम को लगातार जारी रखें। उन्होंने अच्छी तैयारी अपने नृत्य में प्रदर्शित किया। इससे उनके उत्साह, क्षमता और ऊर्जा का पता चलता है। 



2 comments: