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Saturday, July 16, 2022

shashiprabha: गुरू शिष्य परंपरा की झलक-- शशिप्रभा तिवारी

shashiprabha: गुरू शिष्य परंपरा की झलक-- शशिप्रभा तिवारी:                                                           गुरू शिष्य परंपरा की झलक                                                          ...

गुरू शिष्य परंपरा की झलक-- शशिप्रभा तिवारी

                                                         गुरू शिष्य परंपरा की झलक

                                                         शशिप्रभा तिवारी


वह शाम खास थी। खास कई मायनों में थी, क्योंकि युवा नृत्यांगना मौमिता घोष की शिष्या मानविका अग्रवाल ने प्रथम मंच प्रवेश पेश किया। इसके अलावा, इस समारोह में ओडिशी नृत्यांगना मौमिता घोष की गुरू माधवी मुद्गल का उपस्थित होना। वह अपनी शिष्या की शिष्या को आशीर्वाद देने पहुंचीं थी। यह अवसर कम शिष्य-शिष्याओं को मिलता है कि उनके गुरू उन्हें इस तरह से सराहें और स्वीकार करें। 

यह समारोह त्रिवेणी कला संगम, नई दिल्ली में आयोजित था। इसका आयोजन अभ्युदय आटर्् फाउंडेशन की ओर से किया गया था। नौ जुलाई को आयोजित मंच प्रवेश का आरंभ मंगलाचरण से हुआ। रचना ‘पद बंदे जगन्नाथ‘ पर आधारित इस प्रस्तुति में मानविका ने गणपति और जगन्नाथ की वंदना पेश की। उनकी दूसरी पेशकश आरभि पल्लवी थी। यह राग आरभि और एक ताली में निबद्ध थी। इस पेशकश में पैरों का काम, अंगों का संचालन, ग्रीवा और कटि के उपर के हिस्से का संचालन मानविका ने पेश किया। 


 



अभिनय अगली पेशकश थी। यह कवि जयदेव की अष्टपदी ‘ललित लवंग लता परिशीलं‘ पर आधारित थी। यह अपनी क्षमता और उम्र के अनुरूप मानविका ने अभिनय पेश किया। धीरे-धीरे उनके अभिनय में निखार आएगा। ऐसी उम्मीद है। लेकिन, कुल मिलाकर उन्होंने लय और ताल पर अच्छी पकड़ दिखाई। शास्त्रीय नृत्य में कलाकार में समय के साथ परिपक्वता आती है। यह अच्छी बात है कि मानविका अपनी गुरू मौमिता के साथ सामूहिक नृत्य में भाग लेती रही हैं। वह आगे भी अपने नृत्य करियर को जारी रखेंगी तो भविष्य में कला जगत को एक बेहतरीन कलाकार जरूर मिलेगा। 

गौरतलब है कि गुरू माधवी मुद्गल एक प्रतिष्ठिक कलाकार हैं। उन्हें ओडिशी के महानतम गुरू केलुचरण महापात्र के सानिध्य में सीखने का अवसर मिला। वह गुरू केेलुचरण महापात्र की परंपरागत नृत्य रचनाओं को विशुद्ध रूप मे ंहमेशा से मंच पर पेश करती रहीं हैं और उन्होने उसी तन्मयता से अपनी शिष्याओं को भी सिखाया है। शायद, इसलिए समारोह में लगभग सभी नृत्य रचना गुरू केलुचरण महापात्र की पेश की गईं। उन रचनाओं की संगीत रचना पंडित भुवनेश्वर मिश्र ने की थी। 

मानविका के साथ संगत करने वाले कलाकारों ने भी संुदर और सरस संगत किया। इनमें शामिल थे-मंजीरे पर मोेमिता घोष, बांसुरी पर किरण, सितार पर सुनील सक्सेना और गायन पर सुकांत नायक। 


Monday, June 20, 2022

shashiprabha: कलाकार निरंतर सफर करता है-इंद्रजीत ग्रोवर

shashiprabha: कलाकार निरंतर सफर करता है-इंद्रजीत ग्रोवर:                                                  कलाकार निरंतर सफर करता है-इंद्रजीत ग्रोवर चित्रकार इंद्रजीत ग्रोवर का नाम देष के नामचीन कला...

कलाकार निरंतर सफर करता है-इंद्रजीत ग्रोवर

           


                                     कलाकार निरंतर सफर करता है-इंद्रजीत ग्रोवर






चित्रकार इंद्रजीत ग्रोवर का नाम देष के नामचीन कलाकारों में शुमार है। इंद्रजीत के चित्रों की प्रदर्शनी मुम्बई की प्रतिष्ठित जहांगीर आर्ट गैलरी में आयोजित की जा रही है। यह प्रदर्शनी 21जून से 27जून तक आयोजित है। इस प्रदर्शनी का शीर्षक ‘माई न्यु जर्नी बिगिन‘ है। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन मशहूर आर्किटराजीव कसत, महेंद्र कलांत्री और अभिनेत्री सत्यमवदा अग्गी करेंगें। 

पिछले तीन दशक से पेंटिग की दुनिया में अपनी अलग पहचान चित्रकार इंद्रजीत ग्रोवर ने बनाई है। आपकी पेंटिग्स प्रधानमंत्री कार्यालय, अनेक राज्यों के राजभवन, मुख्यमंत्री कार्यालय आदि भवनों की दीवारों पर शोभायमान है। आप देश-विदेश में आयोजित लगभग सौ से ज्यादा प्रदर्षनी कर चुके हैं। इन में कुछ एकल और कुछ सामूहिक प्रदर्षनी रही हैं। 

उनकी चित्रकारी की खासियत है कि इनमें एक ओर जहां मानवीय बोध की झलक मिलती है, वहीं दूसरी ओर इसमें परिदृश्य से सहज व सरल जुड़ाव दिखती है। उनके चित्रों में सुंदर, स्वाभाविक, सांस्कृतिक भावों का समायोजन नजर आता है। इसमें सामाजिक और सांस्कृतिक बोध का संुदर चित्रण नजर आता है। इनमें जीवन के विभिन्न पहलुओं की झलक मिलती है, जैसे-नृत्य की मुद्रा में नृत्यंागना, वादन करते कलाकार, गंगा और उसके घाट, घाटों के आस-पास का वातावरण, शहर के रहवासियों से जुड़े सामान्य दृश्यों का चित्रण पेंटर इंद्रजीत ग्रोवर ने बहुत मार्मिक तरीके से किया है। उन्होंने रोजमर्रे और आम लोगों की जिंदगी की छोटी-छोटी चीजों को बहुत रोचक तरीके से अपनी पेंटिंग्स में चित्रित किया। उनके चित्रों में रंगों का संतुलन मोहक है। वह चटख रंगों का प्रयोग उनकी पेंटिग्स और अधिक आकर्षक बनाता है। उनके चित्रों की सजीवता को देखते हुए यह प्रतीत होता है कि हम उन्हीं स्थानों में विचरण कर रहे हैं या उन दृश्यों को आप खुद में अनुभूत करने लगते हैं। 

इंद्रजीत ग्रोवर अपनी चित्रों को ब्रश और पैलेट नाइफ के जरिए उकेरते हैं। इंद्रजीत ग्रोवर कहते हैं कि मैं अपने आस-पास के वातावरण को गहराई से महसूस करता हूं। मैं ब्रश और रंगों के जरिए उन्हीं को प्रस्तुत करने की कोशिश करता हूं। मुझे लगता है कि कलाकार जब सृजनकार्य में संलग्न होता है तब वह पूरी तरह से ध्यान मग्न होता है। दरअसल, यह ध्यान मग्न अवस्था ही हमारे ध्यान की प्रक्रिया है। इसी ध्यान की अवस्था में ही हम जैसे कलाकार कुछ नई चीजों की परिकल्पना कर पाते हैं। उसी परिकल्पना को हम अपने चित्रों में प्रस्तुत करते हैं।