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Wednesday, July 17, 2013

unkaha

मेरा मन
तुम्हारे मन के
 झील के पानी की तरह थिर है

तेज हवा बहती है
बहुत कुछ उड़ाती है
आँखों में धूल भर जाता है

उसकी किरकिरी
आँखों से आँसुओं को
यूँ ढुलकाती है कि मन हल्का हो जाए

पर,क्या ऐसे
आँसुओं का कोई मोल है
नम आँखों की कहानी अनकहे बयां होती है

जब साथ-साथ
हमारे नयन और
तुम्हारे नयनों में नमी होती है

 तब मन
 तुम्हारे प्यार भरे झील में
 यूँ ही नहा कर खुश हो जाता है

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