shashiprabha
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कथक और पहाड़ी चित्रों का आपसी रंग कविता ठाकुर, कथक नृत्यांगना
कथक और पहाड़ी चित्रों का आपसी रंग कविता ठाकुर, कथक नृत्यांगना रेबा विद्यार्थी से सीख कर आए हुए थे। जिन्होंने लखनऊ घराने की तकनीक को सीखा थ...
अपनी मूल से जुड़े---- शशिप्रभा तिवारी
अपनी मूल से जुड़े -शशिप्रभा तिवारी ओडिशी नृत्य गुरू मायाधर राउत राजधानी दिल्ली में रहते है...
बांसुरी ने जीवन की समझ दी-चेतन जोशी, बांसुरीवादक
बांसुरी ने जीवन की समझ दी-चेतन जोशी, बांसुरीवादक पहाड़ों, घाटियों, नदियों, झरने, जंगल और हरी-भरी वादियों...
युवा कलाकारों की धमक
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सत्रीय नृत्य समारोह
सत्रीय नृत्य समारोह ...
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'जीवन की सुगंध है-ओडिशी'-- मधुमीता राउत, ओडिशी नृत्यांगना उड़ीसा और बं...
शास्त्रीय नृत्य की एक अनवरत परंपरा है।
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कदाचित कालिंदी तट ---शशिप्रभा तिवारी
जयंतिका की ओर से नृत्य समारोह ‘भज गोविंदम्‘ का आयोजन दिल्ली में हुआ। यह समारोह नौ अप्रैल को इंडिया हैबिटैट सेंटर के स्टेन सभागार में आयोजित ...
कला के विस्तार का एक और आयाम
कला के विस्तार का एक और आयाम शशिप्रभा तिवारी ...
Sunday, July 21, 2013
आज आषढ़ का अंतिम दिन
असमान में
तुम्हारे चेहरे-चाँद झिलमिला रहा है
मेरा मन इस चाँदनी रात में
यमुना के किनारे
तुमसे मिलने आ गया है
रिमझिम बूंदों की
चादर में
तुमसे मिल सराबोर हो रहा है
कितने जज्बात बातों में
सिमटने को
तुमसे व्याकुल हो गएँ हैं
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