युवा कलाकारों का साथ
शशिप्रभा तिवारी
बीते शाम 22नवंबर 2020 को संकल्प में कथक नर्तक राहुल शर्मा ने कथक नृत्य पेश किया। इस कार्यक्रम का आयोजन विधा लाल कथक एक्पोनेंट ने अपने फेसबुक पेज पर किया। इस आयोजन में आईपा, आर्गेनिक कृषि, हर्बीलाइट और नुपूर अकादमी ने भी अपने सहयोग दिया है। नृत्य समारोह ‘संकल्प‘ में इस रविवार की शाम राहुल शर्मा ने अपने नृत्य से समां बांध दिया। वाकई युवा गुरू के युवा शिष्य राहुल के नृत्य में अच्छी तैयारी दिखी।
नर्तक राहुल शर्मा ओज और ऊर्जा से भरे हुए नजर आए। उनके गुरू व कथक नर्तक कुमार शर्मा ने अपने वक्तव्य में सही कहा कि भारत युवाओं का देश है। भारतीय कलाओं और परंपराओं को संभालने का दायित्व युवा गुरू, शिष्य और कलाकारों पर है। हमारा काम कथक और अन्य शैलियों के साथ प्रयोग के लिए ज्यादा जाना जाता है। हमें लोग कथक राॅकर्स के नाम से भी जानते हैं। इस धरोहर को संवारने और समृद्ध बनाए रखने के लिए युवा कलाकारों को मंच प्रदान करना और प्रोत्साहन देना जरूरी है। आने वाले समय में संस्कृति की बागडोर इन्हीं के कंधों पर होगी।
युवा कथक नर्तक राहुल शर्मा पिछले सात-आठ सालों से अपने गुरू कुमार शर्मा के सानिध्य में है। वह सीखने के साथ-साथ परफाॅर्म भी करते रहे हैं। वह संभावना से भरे नजर आते हैं। उन्होंने संकल्प के आयोजन के दौरान आकर्षक नृत्य पेश किया। उनके साथ संगत करने वाले कलाकारों में शामिल थे-गायन व हारमोनियम पर कुमार शर्मा, तबले पर ऋषभ शर्मा और पढंत पर शिवानी शर्मा।
कथक नर्तक राहुल शर्मा ने अपनी पेशकश का आरंभ ध्यान श्लोक से किया। नाट्यशास्त्र के श्लोक ‘आंगिकम् भुवनस्य‘ के संदर्भ को नृत्य में पिरोया। इसमें उन्होंने भंगिमाओं और मुद्राओं के जरिए जटाधारी, नीलकंठ, गंगाधर, नटराज, त्रिशूलधर को बखूबी दर्शाया। उन्होंने पंद्रह मात्रा के ताल पंचम सवारी को शुद्ध नृत्त में प्रस्तुत किया। विलंबित लय में उपज को पेश किया। थाट में नायक के खड़े होने का अंदाज मोहक था। इसमें सरपण गति, चक्कर और उत्प्लावन का प्रयोग सहज था। वह हर रचना में सम पर आकर, वहीं से अगली रचना की शुरूआत कर रहे थे। प्रस्तुति के क्रम में, राहुल का इतना ऊर्जावान होना अनूठा नजर आ रहा था। रचना ‘ता थेई थेई तत् के बोल को बखूबी नृत्य में समाहित किया। वहीं, परण आमद के पेशकश में ‘क्रान धा कत धा‘ के बोल पर प्रभावकारी काम पेश किया। नृत्य में एक ही रचना में एक व दो पैरों के जरिए चक्कर का प्रयोग करना लासानी था।
मध्य लय में नर्तक राहुल शर्मा ने घुड़सवारी का अंदाज पेश किया। रचना ‘किट तक धिंन ना‘ में हस्तकों व पैरों के काम से घोड़े के संचालन का अंदाज पेश किया। एक से सात अंकों की तिहाई, परण ‘धा न धा‘, तीन धा से युक्त रचना को भी अपने नृत्य में शामिल किया। उन्होंने परमेलू को भी नाचा। कृष्ण और पनहारिन राधिका के भावों को ठुमरी में पेश किया। राहुल शर्मा ने ठुमरी ‘रोको न डगर मेरो श्याम‘ के अभिनय में पेश करने से पहले पृष्ठभूमि की आधार भूमि तैयार की। इसके लिए उन्होंने घूंघट, मटकी, बांसुरी, गुलेल की गतों को पेश किया। साथ ही, तिहाई में राधा, कृष्ण और छेड़छाड़ के भावों का दर्शाया। अंत में द्रुत लय में लगभग 48चक्करों की प्रस्तुति मोहक थी। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि राहुल अपनी पूरी क्षमता के साथ कथक की साधना में जुटे रहें, तो आने वाले समय में कला जगत को एक बेहतरीन कलाकार मिल पाएगा।
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