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Tuesday, October 20, 2020

नई पौध के अंकुर

                                                                   

                                                                 नई पौध के अंकुर


                                                                शशिप्रभा तिवारी


बीते शाम अठारह अक्तूबर 2020 को संकल्प में कथक नर्तक शुभम तिवारी ने कथक नृत्य पेश किया। इस कार्यक्रम का आयोजन विधा लाल कथक एक्पोनेंट ने अपने फेसबुक पेज पर किया। इस आयोजन में आईपा, आर्गेनिक कृषि, हर्बीलाइट और नुपूर अकादमी ने भी अपने सहयोग दिया है। नृत्य समारोह ‘संकल्प‘ में इस रविवार की शाम शुभम तिवारी ने अपने नृत्य से समां बांध दिया। हर शाम एक नई प्रतिभा से परिचित होने का अवसर दर्शकांे को मिलता है। 

नर्तक शुभम तिवारी ओज और ऊर्जा से भरे हुए नजर आए। उनके गुरू व कथक नर्तक अनुज मिश्रा ने अपने वक्तव्य में सही कहा कि भारत युवाओं का देश है। भारतीय कलाओं और परंपराओं को संभालने का दायित्व युवा गुरू, शिष्य और कलाकारों पर है। इस धरोहर को संवारने और समृद्ध बनाए रखने के लिए युवा कलाकारों को मंच प्रदान करना और प्रोत्साहन देना जरूरी है। आने वाले समय में संस्कृति की बागडोर इन्हीं के कंधों पर होगी।

दरअसल, इस संदर्भ में कथक नृत्यांगना विधा लाल, अलकनंदा कथक और उनकी पूरी टीम बधाई के योग्य है। इन सभी लोगों के प्रयास का परिणाम है-संकल्प का आयोजन। इस आयोजन में कथक नर्तक शुभम तिवारी ने अपने नृत्य का आरंभ शिव स्तुति से किया। श्लोक ‘कर्पूर गौरं करूणावतारं‘ में शिव के रूप को नर्तक शुभम ने दर्शाया। हस्तकों और भंगिमाओं का प्रयोग सहज था। शिव तांडव स्त्रोत के अंश के साथ छंद-‘चंद्रकला मस्तक पर सोहे‘ के जरिए शिव के रौद्र रूप का प्रदर्शन मोहक था। शुभम का वायलिन के लहरे पर चक्कर के साथ सम पर आना मनोरंजक था। 





कथक नर्तक शुभम तिवारी ने ताल पंचम सवारी में शुद्ध नृत्त पेश किया। पंद्रह मात्रा के ताल को पखावज के ताल में निबद्ध किया। लहरे में सितार और वायलिन का प्रयोग सुंदर था। शुभम ने अपने नृत्य में 115चक्करों को प्रभावकारी प्रयोग किया। यह उनकी विशेष उपलब्धि है। उन्होंने रचना ‘तिना-दी-दी-ना‘ के बोल पर पैर का काम पेश किया। वहीं परमेलू ‘धित-ताम-तकिट-धिकिट‘ के बोल में पिरोई गई थी। इसमें नर्तक ने45चक्करों का प्रयोग किया। तिहाइयां में ‘गिन-गिन-गिन-धा‘ व ‘गिन-धा‘ के अंदाज को पैर के काम के जरिए काफी स्पष्टता के साथ पेश किया। पूरे पंजे और एड़ी का प्रयोग करते हुए, एक पैर के चक्कर का प्रयोग मार्मिक था। शुभम ने दो परणों को अपने नृत्य में समाहित किया। इसी क्रम में, उन्होंने गणेश परण ‘गणनां गणपति गणेश‘ में गणेश के रूप को दर्शाया। एक अन्य रचना में ‘धिलांग-धिलांग-किट-थेई‘ की पेशकश आकर्षक थी। उन्होंने नृत्य का समापन लड़ी से किया। कुल मिलाकर नर्तक शुभम तिवारी की तकनीकी पक्ष काफी दुरूस्त, संतुलित और तैयारी अच्छी है। उम्मीद है कि आने वाले समय में वह इसी तरह मेहनत करते हुए, अपने लगन के दम पर नई बुलंदियों को पाने की कोशिश में जुटे रहेंगें। 

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