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Thursday, June 27, 2019

मैं ही राधा हूँ.

कान्हा !
मैं नदी की एक धारा हूँ
मैं ही राधा हूँ.

मुझमें बहती हैं
दुःख-सुख के आवेग
खुशी के आंसू
मुझे ही गंगा का प्रतीक मान
हर दुल्हन अमर सुहाग मांगती है
मैं अविरल धारा हूँ .

कान्हा !
मैं नदी की एक धारा हूँ
मैं ही राधा हूँ.

तुम्हारे भीतर भी बहती हूँ
लय-ताल के सुर में
मिलन के गीत
तुम्हारे बांसुरी का संगीत बन
हर मन जो सुकून मांगता है
मैं अविरल सुर हूँ .

कान्हा !
मैं नदी की एक धारा हूँ
मैं ही राधा हूँ.


मेरा अतल तल भी बहता है
मिलन-विरह के गीत में
मन गुनगुनाता है
मेरी ही धारा निर्झर बन
मेरे मन को समझाता है
मैं अविरल प्रेम हूँ .

कान्हा !
मैं नदी की एक धारा हूँ
मैं ही राधा हूँ.

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