Popular Posts

Sunday, April 8, 2018

तुम जानते हो!

श्याम !
तुमने देखा है
पढ़ा भी है
छुआ भी है
मेरी हथेलियों की रेखा को
जीवन दो दिन की नहीं
दो पल का
साथ-साथ नहीं होता
तुम बोलो या चुप रहो
तुम्हारा मन तो
अकेले में
मुझे ही पाता होगा
मुझे ही जीता होगा
मुझे ही मनाता होगा
श्याम!
तुम जानते हो!
मेरी अकथनीय
मेरी वेदना
मेरी संवेदना
जिन पलों को हमने जिया
दो पल का
साथ-साथ नहीं होता
तुम मेरे रहो या नहीं
तुम्हारा मन तो
अकेले में
मेरे ही पास होता है
मेरे ही साथ होता है
मेरे ही लिए होता है
श्याम!
तुम जानते हो!

No comments:

Post a Comment