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Saturday, March 3, 2018

जिंदगी का सफर है
उम्र के हर मुकाम पर
हर कोई अपनी तरह से जोड़ते-तोड़ते हैं

लेकिन, एक
हंसी ही थी
जो जोड़ती है
जिंदगी को
फूलों के रंग
आसमान के रंग
पहाड़ो के रंग
सब ने बहुत कुछ दिया
मुझे जिंदगी जीने का इल्म

इल्म तो तुमने भी दिया
दुःख में हंसो
सुख में हंसो
हर पल हंसो
केशव, पेड़ के पत्ते विलगने के बाद
कहाँ कुछ जोड़े रख पाते हैं

हवा कहाँ थमती है?
प्रवाह कहाँ रूकती है?
मन कहाँ रुकता है?
वह मन इधर-उधर जाने-अनजाने उड़ता
फिर, तुम्हारे आसरे आ कर बैठता

तुम जो चाहो
जैसा चाहो रखो केशव!
यह जीवन की डोर तुम्हारे हाथ
तुम अधर में रखो
तुम पार उतारो
तुम ही जानो!



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