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Monday, July 10, 2017

परवीन सुलताना

                                                                 

                                      परवीन सुलताना


           मधुर आवाज की मलिका परवीन सुलताना जन्म 10जुलाई 1950 कों हुआ था.  उनका जन्म स्थान         नौगांव, असम है। पिता  इकरामुल माजिद और  माता  मरूफा बेगम. बुद्ध पूर्णिमा को जन्मी परवीन सुलताना को संगीत अपने बुजुर्गों से विरासत में मिली। उनके दादा मोहम्मद नजीफ खां अफगानी मूल के थे, जो एक बेहतरीन रबाब वादक थे। परवीन के पिता इमरामुल माजिद को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की अच्छी समझ थी। क्योंकि, उन्होंने करांची के गुल मोहम्मद खां और पटियाला घराने के उस्ताद बडे़ गुलाम अली खां से गायन सीखा था। शायद, इसलिए परवीन के पहले गुरू उनके पिता थे। परवीन सुलताना भाग्यशाली रहीं कि उनके परिवार के लोग उदार प्रवृŸिा और खुले विचारों के थे। बारह साल की उम्र में पहली बार सदारंग संगीत सम्मेलन, कोलकाता में परवीन सुलताना ने मंच पर गाया। उनके गायन को उस जमाने के बड़े-बड़े कलाकारों ने सराहा। असम से वह हर सप्ताहांत में कोलकाता अपने गुरू आचार्य चिन्मय लाहिड़ी के पास सीखने आती थीं। उन्हीं की सलाह से वह उस्ताद दिलशाद खां के सानिध्य में रही, जिन्होंने परवीन के आवाज तराशा और सजाया। परवीन सुलताना और उस्ताद दिलशाद खां ने कई मंचों से युगल संगीत पेश किया। उस्ताद दिलशाद खां से परवीन सुलताना की शादी हो गई। वह अपने उस्ताद को अपना गुरू, पति, मित्र और मार्गदर्शक सब कुछ मानती हैं। 
खूबसूरत और मधुर आवाज की मलिका परवीन सुलताना ने शास्त्रीय संगीत के साथ फिल्मों में भी अच्छी दखल रखी। उन्होंने हमें तुमसे प्यार कितना, पाकीजा, गदर, दुल्हा-दुल्हन, फिल्म1920, दो बंूद पानी में पाश्र्व गायन किया। पाकीजा में उन्होंने ठुमरी ‘कौन गली गयो श्याम‘ गाया था। जबकि, गदर में उन्होंने प्रसिद्ध गायक पंडित अजय चक्रवर्ती के साथ ठुमरी ‘आन मिलो सजना‘ गाया था। राजस्थान की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म दो बूंद पानी में राजस्थानी लोकगीत ‘पीतल की मोरी गागरी‘ गायिका मीनू पुरूषोŸाम के साथ गाया था, जो उस समय बहुत लोकप्रिय हुई थी। उन्हें फिल्मों में एक्टिंग के लिए सत्यजीत रे बतौर अभिनेत्री रखना चाहते थे। लेकिन, उन्होंने अभिनय को अपने को दूर रखकर, शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र को ही अपनाया। वह मानती हैं कि जिंदगी में प्रतिष्ठा पाने के लिए कभी भी छोटा रास्ता अपनाना चाहिए।
 गायिका परवीन सुलताना को सन्1976 में सिर्फ पच्चीस साल की उम्र में पद्मश्री मिला। उन्हें गंधर्व कलानिधि और संगीत नाटक अकादमी सम्मान मिल चुका है। उन्हें असम सरकार की ओर से संगीत साम्राज्ञी और श्रीमंत शंकर देव सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें फिल्म कुदरत के गीत के लिए सन्1981 में सर्वश्रेष्ठ पाश्र्व गायिका का सम्मान प्राप्त हुआ। हिंदुस्तानी शास्त्रीय  संगीत के सुनकारों को भवानी दयानी महावाकवाणी सुनता ही परवीन जी का नाम याद आता है। आाज उनका जन्मदिन है।




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