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Thursday, January 23, 2014

उसी पनघट पर
गागर ले कर
खड़ी हूँ, कान्हा!
एक बार आओ ना!

कांकरिया मार
गागर को तोड़ो,
भीगती हूँ, कान्हा!
एक बार भिगो जाओ ना!

राधा कुंड से
कृष्णा कुंड तक
बहलती हूँ, कान्हा!
एक बार बहला जाओ ना!

उध्दवजी को ना भेजो
इस बार नैना
तरसते हैं, कान्हा!
एक बार दरस दे जाओ ना!

मैं अकेली
राह में बैठी
बाट निहारती हूँ, कान्हा!
एक बार मिल जाओ ना!
 

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