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Wednesday, April 7, 2021

आ जा बलम परदेसी! -- शशिप्रभा तिवारी


कथक नृत्यांगना प्रतिभा सिंह पटना में जन्मी और पली-बढी हैं। उन्हें कला की समझ अपने घर में ही मिली। शुरू में उन्होंने पटना में कथक नृत्य सीखना शुरू किया। बाद में, उन्होंने गुरू बिरजू महाराज और गुरू जयकिशन महाराज से कथक नृत्य सीखा है। कला मंडली रंगमंडली की निर्देशक प्रतिभा सिंह को साहित्य कला परिषद सम्मान और विष्णु प्रभाकर कला सम्मान से सम्मानित हैं। उन्हें संस्कृति मंत्रालय की ओर से जूनियर फेलोशिप और अमूर्त धरोहर फेलोशिप भी मिल चुके हैं। वह निरंतर अपने सफर को जारी रखीं हुईं है। वह एक ओर कथक नृत्य आम बच्चों के साथ किन्नरों को नृत्य सीखाती हैं। साथ ही, वह रंगमंच के लिए उत्साहित होकर काम कर रही हैं।

पिछले दिनों संस्कृति मंत्रालय और कथक केंद्र की ओर से सात दिवसीय नृत्य समारोह का आयोजन किया गया। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर स्वाधीनता के रंग फागुन के संग समारोह था। इसमें 24मार्च को स्वामी विवेकानंद सभागार में कथक नृत्यांगना प्रतिभा सिंह ने शिरकत किया। उन्होंने नृत्य रचना ‘इश्क रंग‘ पेश किया। इसके अलावा, एक अन्य समारोह विविधा में भी उन्होंने नृत्य किया।

आजादी का प्रश्न पूरे विश्व में आजादी के साथ अवतरित होता है। उसके देह में बसी आत्मा परमात्मा से मिलने के लिए। मुक्ति के लिए, परम स्वाधीनता को प्राप्त करने के लिए छटपटाती रहती है। इश्क का होना स्वाधीनता पर विश्वास, आस्था करना ही तो है। इसी संवाद ‘जा तैणू इशक हो जावे‘ से नृत्य रचना ‘इशक रंग‘ की शुरूआत होती है। संवाद के साथ ही, कथक नृत्यांगना प्रतिभा सिंह अभिनय पेश करती हैं। कलाम ‘अव्वल-ए शब बज्म की रौनक‘ के बोल पर नृत्यांगना ने हस्तकों और मुख के भावों के जरिए बैठकी अंदाज में अभिनय में पेश किया। यहीं संवाद प्रियतम की याद में प्रियतमा अपने प्रिय को याद करती है। वह घूंघट की गत, केश सज्जा का अंदाज, आंखों व कलाई की गतों को अपने नृत्य में बखूबी प्रयोग किया। इसके साथ ही, रचना ‘नैना मोरे तरस गए‘ पर नृत्यांगना प्रतिभा ने भाव पेश किया। विरहिणी नायिका के भाव के चित्रण में अच्छी परिपक्वता नजर आई, जो कथक नृत्य में कम देखने को मिलती है।
अगले अंश में, कव्वाली ‘दौड़ छपट कदमों पर गिरूंगी‘ पर प्रतिभा ने मोहक अभिनय पेश किया। शेख फरीद की रचना ‘वेख फरीदा मिट्टी खुली‘ पर भावों को दर्शाया। इसके बाद, उन्होंने अमीर खुसरो की लोकप्रिय रचना ‘आज रंगी है री मां‘ को नृत्य पिरोया। इसे कव्वाली के अंदाज में गायकों ने गाया और नृत्यांगना प्रतिभा ने भावों को दर्शाया।


एक अन्य विविधा का आयोजन कलामंडली की ओर से किया गया। यह समारोह 26-27मार्च को आयोजित था। इस आयोजन में भी कलाकारों ने नृत्य पेश किया। आज रंगी है रचना पर नृत्यांगना श्रुति सिन्हा और नर्तक नरेंद्र जावड़ा ने प्रतिभा सिंह का साथ दिया। एक रचना ‘ता थेई ता धा‘ पर नवीन जावड़ा ने पैर का काम पेश किया। वहीं, एक अन्य रचना में शिव के रूप को दर्शाया। प्रतिभा और श्रुति ने पैर के काम के साथ 21चक्करों का प्रयोग किया। अगले अंश में ठुमरी ‘काहे को मोरी बईयां गहो री‘ पर भाव पेश किया। इसके अलावा, होली ‘खेलें मसाने में होली‘ और ‘बाबा हरिहर नाथ सोनपुर में रंग खेले‘ पर कलाकारों ने नृत्य पेश किया। इन रचनाओं को गायक बृजेश मिश्र और हरिशंकर ने गाया। इसमें शिरकत करने वाले अन्य कलाकार थे-जया प्रियदर्शनी, शांभवी शुक्ल, रमैया और अभय महाराज।
इस पेशकश में संगत करने वाले कलाकारों में शामिल थे-जमील अहमद, उमा शंकर, आशिक कुमार, योगेश गंगानी, सुजीत गुप्ता और योगेश शंकर।

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