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Wednesday, April 14, 2021

कला और संस्कृति अमूल्य धरोहर हैं-शशिप्रभा तिवारी

               

संस्कार और संस्कृति किसी भी देश की पहचान होती है। हर देश की अपनी अनूठी संस्कृति होती है। फिर, जब भारत की बात होती है, तब यह तो अपनी सांस्कृतिक विविधता का अनोखा रूप प्रदर्शित करता है। यही हमारी विशिष्टता ही, हमारी समृ़द्ध सांस्कृतिक पहचान है। यह सांस्कृतिक मूल्य सदियांे पुरानी है। इसे संजोना तो जरूरी है ही, इससे भावी पीढ़ी को रूबरू करवाना और उसे जीवन मूल्यों से जोड़े रखना समाज और देश की जिम्मेदारी है। ऐसा आर्ट मैनेजर मालविका मजूमदार मानती हैं।

आप सान्स्कृतिक आयोजन से कैसे जुड़ी?
मालविका मजूमदार-- लगभग तीस सालों तक सांस्कृतिक क्षेत्र की विशिष्ट संस्था स्पीक मैके से जुड़ी रही हूं। स्पीक मैके में बतौर सीनियर प्रोग्राम मैनेजर-आर्टिस्ट और मीडिया कार्य करती रहीं। वैसे उन्होंने अपने करियर की शुरूआत दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी इरविन काॅलेज से की। यहां वह अंग्रेजी की लेक्चरर रहीं। फिलहाल, वह बतौर आर्ट मैनेजर कार्य कर रही हूं ।

गौरतलब है कि 29 अप्रैल को विश्व नृत्य दिवस है। इस अवसर पर वह नृत्य वर्कशाप का आयोजन स्कूलों में कर रही हैं। इस संदर्भ में मालविका मजूमदार बताती हैं कि स्पीक मैके में काम करते हुए, मैं देश के हर क्षेत्र के कला और कलाकार को जान पाई। हालांकि, मेरे जीवन का काफी समय दिल्ली में बीता है। मेरे माता-पिता मुझे शहर में होने वाले नाटक, फिल्म, संगीत-नृत्य के कार्यक्रमों शुरू से लेकर जाते थे। मेरे पिता सरकारी सेवा में थे, सो उनका तबादला हमेशा होता रहता था। इसलिए भी मुझे देश के विभिन्न प्रदेशों की सांस्कृतिक विशेषता से परिचित होने का अवसर मिला और चीजों के प्रति मेरी दृष्टि एवं समझ विकसित हुुईं।


वैल्यू एजुकेशन विद आर्ट एंड कल्चर क्यों जरूरी है?
मालविका --जीवन के इस मुकाम पर मैं समाज और लोगों से अपने अब तक के अनुभव को साझा करना चाहती हूं। मुझे लगता है कि शैक्षणिक संस्थाओं के साथ जुड़कर कला व संस्कृति के जरिए वैल्यू एजुकेशन छात्र-छात्राओं को दी जा सकती है। मैं चाहती हूं कि कला और कलाकारों के जीवन अनुभव का लाभ विद्यार्थियों और लोगों को मिले। कला और संस्कृति से जुड़ कर ही किसी का व्यक्तित्व विशिष्ट बनता है। मेरी कोशिश है कि मैं कला की समृद्ध विरासत से लोगों को परिचित करवा पाऊं।

आपकी आगामी आयोजन कौन-से हैं?
मालविका- पिछले साल 2020 से ही कोविड-19 के कारण सभी अपनेे-अपने घरों की चारदिवारों में कैद हो गए हैं। इससे युवा और स्कूली बच्चे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। ऐसे हालत में, मुझे लगता कि सांस्कृतिक गतिविधि जिसमें-विविध कलाओं की प्रस्तुति, कार्यशाला, लेक्चर व डेमोन्स्ट्रेशन शामिल होंगे। शास्त्रीय संगीत, नृत्य, लोक कलाओं, हस्त कलाएं, चित्रकला की प्रस्तुतियों और कार्यशालाओं के माध्यम से युवाओं को कला विशेष, कलाकारों और उनकी रचनात्मकता को करीब से देखने-सुनने का विशिष्ट अवसर मिलेगा। जिससे उन युवाओं को अपने दिनचर्या के अलावा, कुछ नया सीखने, कुछ नया करने और कुछ नई पे्ररणा से रूबरू होने का अवसर मिलेगा। यह मेरा एक समेकित प्रयास है ताकि युवा छात्र-छात्राओं और आम लोगों के जिंदगी में कला-संस्कृति के माध्यम से कुछ उत्साह और कुछ उमंग भर सकूं।

हमारे जीवन में कलाओं का क्या महत्व है?
मालविका-दरअसल, हमें अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उसकी बौद्धिकता पर गर्व है। हमारी कलाएं और संस्कृति हमें जिंदगी से जोड़ती हैं। इन्हें अपनाकर हमारे भीतर आत्मविश्वास आता है। हमारे अंदर अपने प्रति और लोगों के प्रति एक जिम्मेदारी और संवेदनशीलता की भावना जागृत होती है। इसलिए, कला और संस्कृतियों विभिनन आयामों से जोड़कर, विद्यार्थियों के जीवन को अच्छी दिशा दी जा सकती है। उनमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। यह उचित समय है कि हम शिक्षा में कला-संस्कृति की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार करें।

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