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Tuesday, September 1, 2020

लय और ताल के साथ

 


लय और ताल के साथ

शशिप्रभा तिवारी

इन दिनों फेसबुक पेज पर बहुत से कलाकार अपनी अपनी गतिविधियों को पेश कर रहे हैं। कथक नृत्यागना विधा लाल भी संकल्प नृत्य समारोह का आयोजन कर रहीं हैं। बीते शाम 30अगस्त को विधा लाल कथक एक्सपोनेन्ट के पेज पर कथक नृत्य पेश किया गया। इसे दिशा देसाई ने पेश किया। इस समारोह का आयोजन नुपूर एकेडमीए आइपाए हर्बीलाइट और आर्गेनिक कृषि के सहयोग से किया गया।

दिशा देसाई की गुरू रूपाली देसाई है। वैसे दिशा पंडित मुकंदराज देव से भी नृत्य का मार्ग दर्शन ले रही हैं। युवा नृत्यांगना दिशा देसाई प्रतिभावान हैं। उनके नृत्य में तरलता है। वह सिर्फ नृत्य नहीं करतीं हैं बल्किए वह लय और ताल के साथ नदी की धारा की तरह बहती है । उनके नृत्य में तैयारी के साथ.साथ एक उत्साह और समर्पण भाव भी है। उनकी प्रस्तुति को देख कर लग रहा था कि यह सभागार में हो रहा है। यह हर दर्शक के लिए सुखद रहा। मंच व्यवस्थाए प्रकाश और माइक सब व्यवस्थित थे। यह प्रयास सराहनीय था और कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी।।

दिशा ने अपनी प्रस्तुति का आरंभ गणेश स्तुति से किया। तुलसीदास की रचना. गाइए गणपति जगवंदन में गणपति का वंद था। जो समय के अनुकूल था। इसमें टुकड़े और तिहाइयो के साथ छंद शामिल किए गए थे। छंद गंगंगणपति मंगल, जय जय विघ्न हरण औरष्वक्रतुण्ड लंबोदर महाकाय गणपति , पर गणेश का रूप विवेचन मोहक था।कथक नृत्यागना दिशा ने गणेश के ज्ञानदाता,सुखदाता, सूपकर्ण, शशि वर्ण, भालचंद्र,मोदकप्रिय,वरदहस्त रूप को हस्तको और मुद्राओ से दर्शाया। इसके अंत में चक्करो का प्रयोग सरस था।
कथक नृत्यागना दिशा देसाई ने तीन ताल में निबद्ध शुद्ध नृत्त पेश किया। उठान ष्ता किट धिगि धा ता धा को सुन्दर अंदाज में पेश किया । थाट में नायिका के खडे होने के अंदाज को प्रस्तुत किया।

इसमें बेहतरीन ठहराव और नज़ाकत दिखा। तिश्र जाति के परण. ष्धा गिन था ष्उत्प्लावन और चक्कर युक्त था। तोड़े में विशेषकर तीन धा की पेशकश लयबद्ध थी।दिशा के नृत्य में पैर की तैयारीए हस्तको को बरतने का तरीका चक्कर और सान्स की गति का समायोजन काबिल ए तारीफ था।तकनीकी पक्ष सुसंगठितए स्पष्ट और शुद्धता से पूर्ण था। उन्होंने सादी गत पेश किया। दिशा ने परण ष्धा ता ना धि में 21चक्कर लिए जो मनोरम था।




भाव अभिनय के लिए दिशा ने ठुमरी का चयन किया। पंडित तीर्थ राम आजाद की रचना थी। इसके बोल थे. मोहे छेड़ो ना नंद के बिहारी । इसमें उन्होंने मटके की गत माखनचोरी गोपी व कृष्ण की छेड़छाड़ को दर्शाया।कथक नृत्यांगना दिशा देसाई का अभिनय सहज और सरल था।

दिशा के साथ संगत करने वाले कलाकारों में शामिल थे.पढ़ंत पर पंडित मुकंुदराज देव और गुरू रूपाली देसाई, गायन पर श्रीरंग तेंबे, तबले पर रोहित देव, हारमोनियम पर अतुल फड़के, सितार पर जुबेर शेख और बासंुरी पर हिमांशु गिंडे।

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