Popular Posts

Wednesday, January 1, 2020

आज नया सूरज

आज नया सा सूरज लगा
मैंने हथेली की ओट कर
देखा था
समय काफी बीत चूका था
नीले आसमान में
उड़ते कबूतर के जोड़े  थे 
मेरी  स्मृति  में
वही बात आई
तुम्हारी यादों की पोटली
सिराहने रखती हूँ
उसे ही ओढ़ती हूँ
और बिछाती  हूँ
उन्ही को बांटती हूँ
बातचीत के जरिये
और उन्ही के बीज बोती हूँ
क्यारिओं में मेथी दाने की तरह
कुछ मीठे, कुछ कड़वी यादों को
संभाले रखना चाहती हूँ
कहीं कोई खोल न दे
कहीं कोई बिखेर न दे
कभी-कभी सोच कर डरती हूँ
सच, कहा कान्हा !
यादों के सहारे जिंदगी बीत जाती है
बरस और बरस ....
तुम्हारी मुरली की धुन
सुन-सुन गुनती हूँ
कुछ सुख और दुःख की बातें
यही यादें सौंप कर
उड़ जाता है
कबूतर का वह जोड़ा
अनंत आसमान में 

No comments:

Post a Comment