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Monday, December 2, 2019

मॉडर्न स्कूल में शताब्दी समारोह में वायलिन के सुर



मॉडर्न स्कूल में शताब्दी समारोह में वायलिन के सुर 
                   

                   शशिप्रभा तिवारी
                   


वायलिन वादिका अनुप्रिया देवताले 





इन दिनों माॅडर्न स्कूल, बाराखंबा में शताब्दी वर्ष समारोह की धूम है। वहां सांस्कृतिक आयोजनों के साथ तरह-तरह की गतिविधियां आयोजित हो रही हैं। इसी सिलसिले में स्पीक मैके की ओर से संगीत समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वायलिन वादिका अनुप्रिया देवताले ने वादन पेश किया। उनके साथ तबले पर अमन पात्रा ने संगत किया।
वायलिन वादिका अनुप्रिया देवताले मानती हैं कि संगीत हमें संवेदनशील इंसान बनाता है। संगीत विश्व में शांति और सौहार्द्र कायम रखने में मदद करता है। मुझे लगता है कि मैं वायलिन बजाने के लिए जन्म ली हूं। मैं बचपन में संगीत सीखती थी। उस समय जब हमउम्र बच्चे खेलते थे, तब मैं बैठकर रियाज करती थी।
अनुप्रिया ने अमीर खुसरो सेंटर फाॅर म्यूजिक की शुरूआत वर्ष 2007 में की थी। इस संस्था का उद्देश्य युवाओं में शास्त्रीय संगीत के प्रति रूझान और जानकारी बढ़े। साथ ही, युवाओं को वह भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों से परिचित करवा पाएं। अनुप्रिया शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ फ्यूजन म्यूजिक के कार्यक्रम पेश करती हैं। इसके लिए उन्होंने ‘परिंदे‘ के नाम से ग्रुप बनाया है। अनुप्रिया चाहती हैं कि किशोर और युवा शास्त्रीय संगीत के प्रति आकृष्ट हों। वह इसेे सीखें और समझें। क्योंकि शास्त्रीय संगीत सिर्फ संगीत नहीं, बल्कि जीवन जीने का सलीका है।
बहरहाल, स्पीक मैके के इस आयोजन में वायलिन वादिका अनुप्रिया देवताले ने सुबह का राग अहीर भैरव बजाया। राग अहीर भैरव के पूर्वांग में भैरव और उत्तरांग में काफी का अंग होता है। अनुप्रिया ने आलाप में राग का स्वरूप पेश किया। इसके विस्तार में जोड़ व झाले के बाद, उन्होंने मध्य लय और द्रुत लय की बंदिशों को बजाया। उनके वादन में रिषभ का आंदोलित रूप काफी स्पष्ट महसूस हुआ। वहीं कोमल मध्यम स्वर के प्रयोग ने वादन को और मोहक बना दिया। तबले पर अमन पात्रा ने संतुलन बनाते हुए, लय-ताल की संगति को संपूर्णता प्रदान की। उन्होंने अपने वादन को राम धुन-‘रघुपति राघव राजाराम‘ से विराम दिया। इसकी प्रस्तुति रसमय थी।
समारोह के दौरान, उन्होंने माॅडर्न स्कूल के बच्चों के साथ अपने अनुभव को साझा किया। इस अवसर पर स्कूल के प्रिंसपल डाॅ विजय दत्ता ने कहा कि शास्त्रीय संगीत को सुन कर आत्मीय सुख का अनुभव होता है। यह सुनने वाले को धैर्यवान और सहनशील बनाता है।






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