Popular Posts

Saturday, June 29, 2013



मन का सुख तो
तुम्हारे मन के झील में ही मिला
कहाँ पता था
तुम्हें भी
जिन्दगी के ये रंग
इतनी हंसी और ख़ुशी देंगे


मेरे  मन के झील का एक टापू
हराभरा है
शायद तुमने ही कभी हरसिंगार का बीज
उसकी खुशबू
महकती है , मेरी शामों को


 सच, यह जिन्दगी हमें
कहाँ से कहाँ ले आई
हैरान होती हूँ
लेकिन, खुशियों के पलों की खवाहिश
हमें जोडती है ,घडी की सुई की तरह

तुम्हारे मन की गहराई
जिसकी थाह पाना मुमकिन नहीं होता
लगता है , ऐसे ही
मन का झील तो खामोश रहता है
पर उसका पानी पल-पल बहता रहता है, मेरी ओर  

No comments:

Post a Comment