तुम उस जगह पर बैठे
अहसासों के
बुलबुलों को महसूस कर लेते
जहाँ कभी
हम साथ बैठ
कभी चहलकदमी करते हुए
न जाने!
कितने बार
एक-दूसरे के करीब आये थे
तुमने जब पहली बार
मेरी हथेलियों को चूमा था
या कि मेरी आँखों के
गहरे झील में
तुम यूँ ही समां गए थे
या मेरे चेहरे पर
पानी की कुछ बूंद रुक गए थे
तुम्हारी नज़रों की तरह
बहुत कुछ रुक जाता है
वहाँ जहाँ तुम होते हो
तुम्हारी बातें होती हैं .....
अहसासों के
बुलबुलों को महसूस कर लेते
जहाँ कभी
हम साथ बैठ
कभी चहलकदमी करते हुए
न जाने!
कितने बार
एक-दूसरे के करीब आये थे
तुमने जब पहली बार
मेरी हथेलियों को चूमा था
या कि मेरी आँखों के
गहरे झील में
तुम यूँ ही समां गए थे
या मेरे चेहरे पर
पानी की कुछ बूंद रुक गए थे
तुम्हारी नज़रों की तरह
बहुत कुछ रुक जाता है
वहाँ जहाँ तुम होते हो
तुम्हारी बातें होती हैं .....
No comments:
Post a Comment