आज नया सा सूरज लगा
मैंने हथेली की ओट कर
देखा था
समय काफी बीत चूका था
नीले आसमान में
उड़ते कबूतर के जोड़े थे
मेरी स्मृति में
वही बात आई
तुम्हारी यादों की पोटली
सिराहने रखती हूँ
उसे ही ओढ़ती हूँ
और बिछाती हूँ
उन्ही को बांटती हूँ
बातचीत के जरिये
और उन्ही के बीज बोती हूँ
क्यारिओं में मेथी दाने की तरह
कुछ मीठे, कुछ कड़वी यादों को
संभाले रखना चाहती हूँ
कहीं कोई खोल न दे
कहीं कोई बिखेर न दे
कभी-कभी सोच कर डरती हूँ
सच, कहा कान्हा !
यादों के सहारे जिंदगी बीत जाती है
बरस और बरस ....
तुम्हारी मुरली की धुन
सुन-सुन गुनती हूँ
कुछ सुख और दुःख की बातें
यही यादें सौंप कर
उड़ जाता है
कबूतर का वह जोड़ा
अनंत आसमान में
मैंने हथेली की ओट कर
देखा था
समय काफी बीत चूका था
नीले आसमान में
उड़ते कबूतर के जोड़े थे
मेरी स्मृति में
वही बात आई
तुम्हारी यादों की पोटली
सिराहने रखती हूँ
उसे ही ओढ़ती हूँ
और बिछाती हूँ
उन्ही को बांटती हूँ
बातचीत के जरिये
और उन्ही के बीज बोती हूँ
क्यारिओं में मेथी दाने की तरह
कुछ मीठे, कुछ कड़वी यादों को
संभाले रखना चाहती हूँ
कहीं कोई खोल न दे
कहीं कोई बिखेर न दे
कभी-कभी सोच कर डरती हूँ
सच, कहा कान्हा !
यादों के सहारे जिंदगी बीत जाती है
बरस और बरस ....
तुम्हारी मुरली की धुन
सुन-सुन गुनती हूँ
कुछ सुख और दुःख की बातें
यही यादें सौंप कर
उड़ जाता है
कबूतर का वह जोड़ा
अनंत आसमान में
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