मेरा मन
तुम्हारे मन के
झील के पानी की तरह थिर है
तेज हवा बहती है
बहुत कुछ उड़ाती है
आँखों में धूल भर जाता है
उसकी किरकिरी
आँखों से आँसुओं को
यूँ ढुलकाती है कि मन हल्का हो जाए
पर,क्या ऐसे
आँसुओं का कोई मोल है
नम आँखों की कहानी अनकहे बयां होती है
जब साथ-साथ
हमारे नयन और
तुम्हारे नयनों में नमी होती है
तब मन
तुम्हारे प्यार भरे झील में
यूँ ही नहा कर खुश हो जाता है
तुम्हारे मन के
झील के पानी की तरह थिर है
तेज हवा बहती है
बहुत कुछ उड़ाती है
आँखों में धूल भर जाता है
उसकी किरकिरी
आँखों से आँसुओं को
यूँ ढुलकाती है कि मन हल्का हो जाए
पर,क्या ऐसे
आँसुओं का कोई मोल है
नम आँखों की कहानी अनकहे बयां होती है
जब साथ-साथ
हमारे नयन और
तुम्हारे नयनों में नमी होती है
तब मन
तुम्हारे प्यार भरे झील में
यूँ ही नहा कर खुश हो जाता है
No comments:
Post a Comment