shashiprabha
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सत्रीय नृत्य समारोह
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Sunday, July 21, 2013
आज आषढ़ का अंतिम दिन
असमान में
तुम्हारे चेहरे-चाँद झिलमिला रहा है
मेरा मन इस चाँदनी रात में
यमुना के किनारे
तुमसे मिलने आ गया है
रिमझिम बूंदों की
चादर में
तुमसे मिल सराबोर हो रहा है
कितने जज्बात बातों में
सिमटने को
तुमसे व्याकुल हो गएँ हैं
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