Popular Posts
-
सुबह होने से पहले मुँह अँधेरे मैं गंगा के किनारे बैठी लहरों को निहारती हर धारा में तुम्हें देख रही थी वही तुम्हारी अंगुली थामे सड़क प...
-
कथक और पहाड़ी चित्रों का आपसी रंग कविता ठाकुर, कथक नृत्यांगना रेबा विद्यार्थी से सीख कर आए हुए थे। जिन्होंने लखनऊ घराने की तकनीक को सीखा थ...
-
बांसुरी ने जीवन की समझ दी-चेतन जोशी, बांसुरीवादक पहाड़ों, घाटियों, नदियों, झरने, जंगल और हरी-भरी वादियों...
-
अपनी मूल से जुड़े -शशिप्रभा तिवारी ओडिशी नृत्य गुरू मायाधर राउत राजधानी दिल्ली में रहते है...
-
युवा कलाकार...
-
सत्रीय नृत्य समारोह ...
-
खजुराहो नृत्य समारोह का स्वर्ण काल ...
-
'जीवन की सुगंध है-ओडिशी'-- मधुमीता राउत, ओडिशी नृत्यांगना उड़ीसा और बं...
-
शास्त्रीय नृत्य की एक अनवरत परंपरा है। इसके तहत गुरूओं के सानिध्य में शिष्य-शिष्याएं कला की साधना करते हैं। गुरूमुखी विद्या का यह अवगाहन गु...
-
जयंतिका की ओर से नृत्य समारोह ‘भज गोविंदम्‘ का आयोजन दिल्ली में हुआ। यह समारोह नौ अप्रैल को इंडिया हैबिटैट सेंटर के स्टेन सभागार में आयोजित ...
Tuesday, March 28, 2023
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment