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Tuesday, March 28, 2023

रागांजलि और अनुनाद का आयोजन-महानाद महोत्सव -शशिप्रभा तिवारी

 रागांजलि और अनुनाद का आयोजन-महानाद महोत्सव

शशिप्रभा तिवारी



पिछले दिनों त्रिवेणी सभागार में महानाद महोत्सव का आयोजन किया गया। रागांजलि और अनुनाद अकदमी आॅफ परफाॅर्मिंग आट्र्स के संयुक्त तत्वावधान में इस महोत्सव का आयोजन किया गया। इस महोत्सव में युवा कलाकारों ने शिरकत किया।  

सितार वादक अंकुश एन नायक पेशे से इंजीनियर हैं। उन्होंने मेटलर्जी एवं मीटीरीयल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की है। वह मंगलौर निवासी अंकुश जी शोधार्थी एवं संगीतज्ञ है। उन्होंने 9 वर्ष की बाल्य अवस्था से सितार वादन धारवाड़ के उस्ताद रफीक खां से सीखना शुरू किया। बाद के समय में उन्होंने आईटीसी संगीत रीसर्च अकादमी, कोलकाता में सरोद वादक पंडित बुद्ध देव दासगुप्ता से वादन सीखा है। इसके अलावा अंकुश ने घटम वादन की शिक्षा विद्वान त्रिची के आर कुमार से सीखा। वह आकाशवाणी और दूरदर्शन के बी हाई ग्रेड के कलाकार हैं । अंकुश को अविनाश हेब्बार मेमोरियल युवा पुरस्कार, दक्षिणा कन्नड़ राज्योत्सव सम्मान, कला अर्पण जी सम्मान मिल चुके हैं। वह देश-विदेश में आयोजित होने वाले कई समारोहों में अपना सितार वादन पेश कर चुके हैं। 

महानाद महोत्सव में सितार वादक अंकुश नायक ने राग पटदीप बजाया। उन्होंने आलाप, जोड़ और झाले को पेश किया। इसके बाद, उन्होंने ग्यारह मात्रा और सोलह मात्रा में गतों को पेश किया। उनके साथ तबले पर जुहैब अहमद खान संगत किया। दोनों अच्छी सहचर की भूमिका में अपने वादन को पेश किया। अंत में सवाल-जवाब का अंदाज दर्शाया। 

      

समारोह के अगले कलाकार विजय कुमार पाटिल का शास्त्रीय गायन पेश किया।  विजय कुमार पाटिल किराना घराने के जाने-माने हस्ताक्षर कलाकार हैं। उन्होंने पंडित कैवल्य कुमार और पंडित संगमेश्वर गुरव से मार्गदर्शन प्राप्त किया है। खुली दमदार आवाज के गायक विजय कुमार हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के अलावा मराठी नाट्य संगीत, कन्नड़ रंग गीत , अभंग, दसरा पड़ , भागवत गीत और वाचन के भी गुणी कलाकार हैं। वह हरवल्लभ संगीत समारोह, संकट मोचन संगीत समारोह, स्वर विलास संगीत सभा, सवाई गंधर्व महोत्सव, दसहरा उत्सव, आंध्र महोत्सव जैसे समारोह में शिरकत कर चुके हैं। 

गायक विजय कुमार पाटिल ने राग श्याम कल्याण प्रस्तुत किया। उन्होंने पहली बंदिश-मेरो लाल पेश किया। दूसरी बंदिश के बोल थे-आज श्याम मिलन भयो और ऐसा गुणी को मैं जानत हूं। उन्होंने दो अन्य रचनाओं को पेश किया। इनके बोल थे-जावो सैंया तुम हमसे न बोलो और रंग रंगीला छैल छबीला। गायक विजय कुमार ने भजन ‘जगत में जीना सीख ले भाई‘ से गायन का समापन किया। उनके साथ तबले पर केशव जोशी संगत कर रहे हैं। केशव जी पंडित आर एच मोरे और पंडित ईश्वर लाल मिश्र के शिष्य रहें हैं। उनको पंडित सूरज पुरंदरे का भी मार्गदर्शन मिला है। विजय कुमार के साथ हारमोनियम पर क्षितिज सिंह ने संगत किया। 

समारोह की अगली पेशकश बांसुरी जुगलबंदी थी। इसे मयंक रैना और रवींद्र राजपूत ने पेश किया। मयंक रैना युवा बांसुरी और सितार वादक हैं। उन्हें संगीत अपने दादा और पिता से विरासत में मिली है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दादा-पंडित ओमकार नाथ रैना और पिता-पंडित सुनील रैना से मिली। उन्हें प्रतिष्ठित सितार वादक पंडित देबू चैधरी से भी मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ है। वह आकाशवाणी से ए श्रेणी में मान्यता प्राप्त है। दूसरे बांसुरी वादक रवींद्र राजपूत गंधर्व महाविद्यालय से जुड़े हुए हैं। दोनों कलाकारों मयंक रैना और रवींद्र राजपूत ने राग दुर्गा में जुगलबंदी पेश की। उनके साथ तबले पर बिवाकर चैधरी और मृदंगम पर मनोहर बालाचंद्रन ने संगत किया। 

इस समारोह की मुख्य अतिथि प्रो अलका नागपाल और विशिष्ट अतिथि बनारस घराने के प्रतिष्ठित तबला वादक पंडित राम कुमार मिश्र थे। उनके अलावा, समारोह में कथक नृत्यांगना प्रतिभा सिंह, संगीत नाटक अकादमी के डिप्टी सेक्रेटरी सुमन कुमार, सितार वादक उमा शंकर, शहनाई वादक लोकेश आनंद आदि की उपस्थिति ने समारोह की रौनक बढ़ा दी।

रागांजलि एकेडमी आॅफ परफाॅर्मिंग आटर््स राजधानी दिल्ली में कार्यरत है। यह संस्था युवा कलाकारों को गायन, वादन और नृत्य प्रस्तुति के लिए प्रोत्साहित करती है। और उन्हें मंच भी उपलब्ध कराती है। रागांजलि अपने प्रयासों से भारतीय कला और संस्कृति के संरक्षण और संवर्द्धन में जुटी हुई है। रागांजलि कुछ पश्चिमी वाद्य यंत्रों और नृत्य के लिए ट्रेनिंग की सुविधा भी उपलब्ध करवाती है। इसके संस्थापक संतूर वादक डाॅ बिपुल कुमार राय हैं।






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