एक गीत कहूँ या कथा वह जो बचपन में अपनी दादी जी से सुना करती थी.
>बढई-बढई तू खूंटा चीर खूंटवा में दाल बा का खाई का पिउं का ले परदेस जाई
>राजा-राजा तू बढई डार बढई न खूंटा चीरे खूंटवा में दाल बा का खाई का पी का ले परदेस जाई
>रानी-रानी तू राजा समझाऊ राजा ना बढ़ई डारे बढई न खूंटा चीरे खूंटवा में दाल बा का खाई का पी का ले परदेस जाई
>सांप सांप तू रानी डस रानी न राजा समझावे राजा ना बढ़ई डारे बढ़ई ना खूंटा चीरे खूंटवा में डाल बा का खाई का पी का ले परदेस जाई
>लाठी-लाठी सांप मार सांप न रानी डसे रानी न राजा समझावे राजा ना बढ़ई डारे बढ़ई ना खूंटा चीरे खूंटवा में दाल बा का खाई का पी का ले परदेस जाई
>आग-आग तू लाठी जारो लाठी न सांप मारे सांप ना रानी डसे रानी ना राजा समझावे राजा ना बढई डारे बढ़ई ना खूंटा चीरे खूंटवा में दाल बा का खाई का पी का ले परदेस जाई
>सागर-सागर तू आग बुझाव आग ना लाठी जारे लाठी न सांप मारे सांप ना रानी डसे रानी न राजा समझावे राजा ना बढ़ई डारे बढ़ई ना खूंटा चीरे खूंटवा में दाल बा का खाई का पी का ले परदेस जाई
>सूरज-सूरज तू सागर सोख सागर न आग बुझावे आग ना लाठी जारे लाठी न सांप मारे सांप न रानी डसे रानी ना राजा समझावे राजा ना बढ़ई डारे बढ़ई ना खूंटा चीरे खूंटवा में दाल बा का खाई का पी का ले परदेस जाई
>हमें बुझाओ-उझाओ मत कोई हम लाठी जारब लोई
>हमें जराओ-ओराओ मत कोई हम सांप मारब लोई
>हमें मर-ओरो मत कोई हम रानी डसब लोई
>हमें डस-ओस मत कोई हम राजा समझावब लोई
>हमें समझाओ-बुझाओ मत कोई हम बढ़ई डारब लोई
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