मन का सुख तो
तुम्हारे मन के झील में ही मिला
कहाँ पता था
तुम्हें भी
जिन्दगी के ये रंग
इतनी हंसी और ख़ुशी देंगे
मेरे मन के झील का एक टापू
हराभरा है
शायद तुमने ही कभी हरसिंगार का बीज
उसकी खुशबू
महकती है , मेरी शामों को
सच, यह जिन्दगी हमें
कहाँ से कहाँ ले आई
हैरान होती हूँ
लेकिन, खुशियों के पलों की खवाहिश
हमें जोडती है ,घडी की सुई की तरह
तुम्हारे मन की गहराई
जिसकी थाह पाना मुमकिन नहीं होता
लगता है , ऐसे ही
मन का झील तो खामोश रहता है
पर उसका पानी पल-पल बहता रहता है, मेरी ओर
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