कलाकार निरंतर सफर करता है-इंद्रजीत ग्रोवर
चित्रकार इंद्रजीत ग्रोवर का नाम देष के नामचीन कलाकारों में शुमार है। इंद्रजीत के चित्रों की प्रदर्शनी मुम्बई की प्रतिष्ठित जहांगीर आर्ट गैलरी में आयोजित की जा रही है। यह प्रदर्शनी 21जून से 27जून तक आयोजित है। इस प्रदर्शनी का शीर्षक ‘माई न्यु जर्नी बिगिन‘ है। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन मशहूर आर्किटराजीव कसत, महेंद्र कलांत्री और अभिनेत्री सत्यमवदा अग्गी करेंगें।
पिछले तीन दशक से पेंटिग की दुनिया में अपनी अलग पहचान चित्रकार इंद्रजीत ग्रोवर ने बनाई है। आपकी पेंटिग्स प्रधानमंत्री कार्यालय, अनेक राज्यों के राजभवन, मुख्यमंत्री कार्यालय आदि भवनों की दीवारों पर शोभायमान है। आप देश-विदेश में आयोजित लगभग सौ से ज्यादा प्रदर्षनी कर चुके हैं। इन में कुछ एकल और कुछ सामूहिक प्रदर्षनी रही हैं।
उनकी चित्रकारी की खासियत है कि इनमें एक ओर जहां मानवीय बोध की झलक मिलती है, वहीं दूसरी ओर इसमें परिदृश्य से सहज व सरल जुड़ाव दिखती है। उनके चित्रों में सुंदर, स्वाभाविक, सांस्कृतिक भावों का समायोजन नजर आता है। इसमें सामाजिक और सांस्कृतिक बोध का संुदर चित्रण नजर आता है। इनमें जीवन के विभिन्न पहलुओं की झलक मिलती है, जैसे-नृत्य की मुद्रा में नृत्यंागना, वादन करते कलाकार, गंगा और उसके घाट, घाटों के आस-पास का वातावरण, शहर के रहवासियों से जुड़े सामान्य दृश्यों का चित्रण पेंटर इंद्रजीत ग्रोवर ने बहुत मार्मिक तरीके से किया है। उन्होंने रोजमर्रे और आम लोगों की जिंदगी की छोटी-छोटी चीजों को बहुत रोचक तरीके से अपनी पेंटिंग्स में चित्रित किया। उनके चित्रों में रंगों का संतुलन मोहक है। वह चटख रंगों का प्रयोग उनकी पेंटिग्स और अधिक आकर्षक बनाता है। उनके चित्रों की सजीवता को देखते हुए यह प्रतीत होता है कि हम उन्हीं स्थानों में विचरण कर रहे हैं या उन दृश्यों को आप खुद में अनुभूत करने लगते हैं।
इंद्रजीत ग्रोवर अपनी चित्रों को ब्रश और पैलेट नाइफ के जरिए उकेरते हैं। इंद्रजीत ग्रोवर कहते हैं कि मैं अपने आस-पास के वातावरण को गहराई से महसूस करता हूं। मैं ब्रश और रंगों के जरिए उन्हीं को प्रस्तुत करने की कोशिश करता हूं। मुझे लगता है कि कलाकार जब सृजनकार्य में संलग्न होता है तब वह पूरी तरह से ध्यान मग्न होता है। दरअसल, यह ध्यान मग्न अवस्था ही हमारे ध्यान की प्रक्रिया है। इसी ध्यान की अवस्था में ही हम जैसे कलाकार कुछ नई चीजों की परिकल्पना कर पाते हैं। उसी परिकल्पना को हम अपने चित्रों में प्रस्तुत करते हैं।
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