भारत अनोखा राग है
शशिप्र्भा तिवारी
ओडिशी नृत्य गुरू हरेकृष्ण बेहरा की शिष्या अल्पना नायक हैं। ओडिशी नृत्यांगना दो दशक से राजधानी दिल्ली में नृत्य सिखा रही हैं। उनकी शिष्याओं ने कला जगत में अपनी अच्छी पहचान कर ली है। नृत्यांगना अल्पना ने दिव्यांग बच्चों को विशेषतौर पर नृत्य सिखाने का बेड़ा उठाया है। इस कोरोना काल में भी उन्होंने अपने शिष्य-शिष्याओं का मनोबल बनाए रखा और उन्हें नृत्य की आॅन लाइन प्रैक्टिस लगातार करवाती रहीं। ताकि, वो लोग अपने नृत्य सीखने की प्रक्रिया को जारी रख सकें। इसी की पराकाष्ठा 15अगस्त को आयोजित इंद्रधनुष कार्यक्रम में दिखी।
आजादी की 75वें वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित इंद्रधनुष कार्यक्रम में गुरू अल्पना नायक की शिष्याओं ने उनकी नृत्य रचनाओं को प्रस्तुत किया। गीत ‘भारत अनोखा राग है‘ पर आधारित ओडिशी नृत्य को शिष्याएं-पीहू, दिशा और श्रेयशा पेश की। विविधता में एकता सुंदर परिदृश्य इस नत्य में था। अगले अंश में, मंगलाचरण पेश किया। शिष्याओं ने इस प्रस्तुति में सरस्वती वंदना पेश किया। यह श्लोक ‘या कंुदेदु तुषार हार धवला‘ और उड़िया गीत ‘आईले मां सरस्वती‘ पर आधारित थी। देवी सरस्वती के संुदर रूप का वर्णन था। गुरू अल्पना नायक की नृत्य परिकल्पना सरस थी। गायक प्रशांत बेहरा और मृदंग वादक प्रफुल्ल मंगराज का संगीत कर्णप्रिय था। इसमें शिरकत करने वाली शिष्याएं थीं-अंजलि, नवनिका, इशिता, हंसिका, अवनिका, अन्वेषा, अदिति।
समारोह में शिव तांडव स्त्रोत पर आधारित शिव तांडव पेश की थी। इस प्रस्तुति में शिव के उद्धत और रौद्र रूप को शिष्याओं ने निरूपित किया। इसे समीक्षा, शेफाली, कृष्णा, मीरा नविका, गौरीशा, धनेश्वर व तृष्णा ने पेश किया।
शास्त्रीय कलाओं में परंपरा का विशेष महत्व है। वरिष्ठ गुरूओं की रचनाओं को अनेक गुरू अपने शिष्य-शिष्याओं को सिखाते हैं। यह उदारता अल्पना नायक ने भी अपनाया है। वह गुरू केलुचरण महापात्र की नृत्य रचनाओं को अपनी शिष्याओं को सिखा रही हैं। इसी सिलसिले मेें उनकी शिष्याओं ने गुरू केलुचरण की नृत्य रचनाएं कल्याणी पल्लवी, कलावती पल्लवी और अष्टपदी ‘श्रीत कमल कुच मंडल‘ को पेश किया। इसे कात्या, टिंवकल, खुशी, निमिषा, अभिषेक, नरेशा, आदिका, अदित्री, इशिका, अन्वेषा, नवनिका ने प्रस्तुत किया। अष्टपदी में भगवान विष्णु के कई प्रसंगों का संुदर चित्रण नजर आया। शिष्य-शिष्याओं का आपसी संयोजन अच्छा था।
अंतिम प्रस्तुति दशावतार व मोक्ष नृत्य थी। गुरू केलुचरण माहपात्र की यह नृत्य रचना कवि जयदेव की रचना पर आधाारित है। रचना ‘जय जगदीश हरे‘ इसे अधिकांश ओडिशी नृत्य के कलाकार पेश करते हैं। इसमें विष्णु के दशावतार का निरूपण था। शिष्याओं की आंगिक चेष्टाएं, हस्त मुद्राओं और भंगिमाएं सहज और संतुलित दिखी।
इंद्रधनुष 2021 का आगाज संगीत से हुआ। इसे अल्पना से जुड़ी शिष्याओं ने पेश किया। राग भोपाली और तीन ताल में निबद्ध गणपति वंदना थी। इसके बोल थे-‘जय गणपति गजबदन विनायक‘। इसे गौरवी अग्रवाल ने गाया। सात्विकी धुंगाना ने छोटे ख्याल की बंदिश को सुरों में पिरोया। इसके बोल थे-‘कैसी निकसी चंादनी‘। यह राग बहार और तीन ताल में थी। दोनों शिष्याओं ने अपनी गुरू शाश्वती चटर्जी के साथ ‘वंदे मातरम्‘ को भी पेश किया। इसके अलावा, तबला आचार्य सुभाष चंद्र बेहरा के शिष्यों ने तबला वादन पेश किया। उन्होंने तीन ताल में अपने वादन को पेश किया।
समारोह में, अल्पना से जुड़े दिव्यांग बच्चों ने गीत ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता‘ और ‘दिल में है मार्स‘ पर नृत्य पेश किया। इस अवसर पर अल्पना के वार्षिक स्मारिका ‘इंद्रधनुष-2021का विमोचन किया। इसे आइएस अधिकारी श्री गुडी श्रीनिवास और सिद्धार्थ किशोर देव वर्म ने विमोचित किया।
गौरतलब है कि इन दिनों यू-ट्यूब या फेसबुक लाइव के जरिए कई आयोजक कार्यक्रम पेश कर रहे हैं। लेकिन, अल्पना नायक ने जिस तरह से कैमरे के जरिए रिकाॅर्डिंग करके कार्यक्रम को प्रसारित किया, वह प्रशंसनीय है। कार्यक्रम को बहुत आकर्षक तरीके से डिजाइन किया गया था। इसमें उद्घोषणा भी संक्षिप्त थी। इससे दर्शक पूरे समय बंधकर इसे देख रहे हैं। इस तरह के प्रयास प्रशंसनीय है और इस तरह की कोशिशें जारी रहनी चाहिए।
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