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Thursday, April 15, 2021
shashiprabha: आनंद उत्सव का आयोजन --शशिप्रभा तिवारी
आनंद उत्सव का आयोजन --शशिप्रभा तिवारी
ओडिशी नृत्य गुरू मायाधर राउत राजधानी दिल्ली में रहते हैं। उन्होंने अपने नृत्य विद्यालय जयंतिका के जरिए कई पीढ़ियों को ओडिशी नृत्य सिखाया है। उन्होंने अपनी पुत्री और शिष्या मधुमीता राउत को ओडिशी नृत्य का प्रशिक्षण दिया। मधुमीता राउत अपनी गुरू की परंपरा का अनुसरण करती हैं। वह अपने गुरू की नृत्य परंपरा को अपनी शिष्य-शिष्याओं को सौंप रही हैं। पिछले दिनों उन्होंने अपने गुरू के नब्बेवें जन्मदिन के अवसर पर आनंद उत्सव का आयोजन किया।
जयंतिका की ओर से तीन दिवसीय आनंद उत्सव त्रिवेणी सभागार में संपन्न हुआ। समारोह की पहली संध्या 23मार्च को थी। इसमें ध्रुपद, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और कर्नाटक संगीत के कलाकारों ने अपने जलवे से उत्सव को नवाजा। समारोह में कर्नाटक संगीत के गायक जी इलंगोवन ने गायन पेश किया। उन्होंने राग भूपालम और मिश्र चापू ताल में निबद्ध रचना को सुर में पिरोया। महाराजा स्वाति तिरूनाल की रचना ‘गोपालक पाहिमाम‘ को इलंगोवन ने मधुर आवाज में पेश किया। उन्होंने राग कल्याणी में रचना ‘त्वमेव माता, पिता त्वमेव‘ को सुरों में पिरोया। यह आदि ताल में थी। उनके साथ बांसुरी पर हमेशा की तरह जी रघुरामन और पखावज पर एमवी चंद्रशेखर ने संगत किया। सारंगी वादक जनाब कमाल साबरी ने राग जोग पेश किया। उनके साथ तबले पर रमीज रजा और श्रीजगन्नाथ ने संगत किया। समारोह में डागर घराने के ध्रुपद गायक उस्ताद वसीफुद्दीन डागर ने शिरकत किया। उन्होंने ध्रुपद ‘सुर नर मुनि ज्ञानी‘ पेश किया। पखावज पर मोहन श्याम शर्मा ने उनका साथ दिया।
त्रिवेणी सभागार में आयोजित आनंद उत्सव की दूसरी संध्या में ओडिशी नृत्य पेश किया गया। समारोह में गुरू मधुमीता राउत की शिष्य-शिष्याओं ने नृत्य पेश किया। इस आयोजन में गुरू मायाधर राउत की नृत्य रचनाओं को नृत्य में पिरोया गया। 24मार्च को नृत्य के कार्यक्रम का आगाज डाॅ सोनाली प्रधान की पेशकश से हुआ। डाॅ सोनाली ने साभिनय पेश किया। उन्होंने उड़िया गीत ‘नाचंति कृष्णा‘ पर भावों को दर्शाया। दूसरी पेशकश अष्टपदी पर अभिनय नृत्य की प्रस्तुति थी। जयदेव की अष्टपदी ‘याहि माधव याहि केशव‘ पर राधा के भावों को नृत्यांगना प्रियंका वेंकटेश्वरन ने पेश किया। कृष्ण की प्रतिक्षा में अधीर राधा को खंडिता नायिका के तौर पर निरूपित किया गया।
भुवनेश्वर से पधारे गुरू पीतांबर बिस्वाल ने ओडिशी नृत्य पेश किया। उनकी पहली पेशकश ‘सते कि भंगि काला‘ पर अभिनय नृत्य की पेशकश थी। इसकी संगीत रचना सत्यव्रत कथा की थी। यह राग देश और जती ताल में निबद्ध थी। इस रचना में सखी से राधा कहती है कि वह कृष्ण की आंखों और आकर्षण के अधीन हो गई। इन्हीं भावों को गुरू पीतांबर ने चित्रित किया। वहीं, अगली प्रस्तुति सूर्य स्तुति ‘आदि देव नमस्तुभ्यं‘ में सूर्य के रूप और उनकी महिमा का गायन पेश किया।
इस समारोह की अंतिम संध्या 25मार्च को आयाजित थी। इस आयोजन में जयंतिका की कलाकार नित्या पंत और साथी कलाकारों ने दशावतार पेश किया। इसकी परिकल्पना गुरू मायाधर राउत की थी। दूसरी पेशकश नृत्य रचना ‘जागो महेश्वर‘ थी। इसे अंकिता नायक ने पेश किया। इसकी संगीत रचना बालकृष्ण दास ने रची थी। कवि कालीचरण पटनायक की रचना ‘जागो महेश्वर योगी दिगंबर‘ पर आधारित नृत्य अंकिता की अंतिम प्रस्तुति थी। इसके संगीत की परिकल्पना बालकृष्ण दास ने की थी। शास्त्रीय नृत्य के तांडव पक्ष का प्रयोग इस नृत्य में था। शिव से जुड़े त्रिपुरासुर वध, सती दाह, वीरभद्र भस्म, समुद्रमंथन, गंगावतरण जैसे 18आख्यानों इस नृत्य में दर्शाया गया। इस प्रस्तुति की खासियत थी कि इसमें शिव के चिदंबरम, लिंगराज, पशुपति, महाकाल, बैधनाथ आदि मंदिरों से प्रेरित मुद्र्राओं व भंगिमाओं को नृत्यांगना ने निरूपित किया। समारोह में ओडिशी नर्तक लकी मोहंती ने नृत्य पेश किया। लकी मोहंती ने पल्लवी और दुर्गा स्तुति पेश किया।
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Saturday, April 10, 2021
shashiprabha: कदाचित कालिंदी तट ---शशिप्रभा तिवारी
कदाचित कालिंदी तट ---शशिप्रभा तिवारी
जयंतिका की ओर से नृत्य समारोह ‘भज गोविंदम्‘ का आयोजन दिल्ली में हुआ। यह समारोह नौ अप्रैल को इंडिया हैबिटैट सेंटर के स्टेन सभागार में आयोजित था। इस समारोह में गुरू मधुमीता राउत की शिष्याओं ने नृत्य पेश किया। गुरू शिष्य परंपरा के तहत गुरू मधुमीता राउत ने अपने पिता व गुरू मायाधर राउत से ओडिशी नृत्य सीखा। गुरू मायाधर राउत को पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी सम्मान से सम्मानित किया गया है।
नृत्य रचना ‘भज गोविंदम‘ की शुरूआत मंगलचरण स्वरूप ‘कदाचित कालिंदी तट विपिन‘ से हुुई। यह नृत्य रचना गुरू मायाधर राउत की थी। आदि शंकराचार्य रचित जगन्नाथ अष्टकम से ली गई थी। इस रचना में श्री वंृदावन में यमुना के तट कृष्ण राधा व गोपियों से मिलते हैं। वही कृष्ण श्रीजगन्नाथ भी हैं। इन्हीं भावों को शिष्याओं ने पेश किया। इस प्रस्तुति में भूमि प्रणाम व त्रिखंडी प्रणाम विशेषतौर पर शामिल थे। इसमें शिरकत करने वाले कलाकार थे-प्रीति परिहार, वसुंधरा चोपड़ा, नित्या पंत, डाॅ प्रियंका वेंकटेश्वरन, प्रणति मालू, शाल्वी सिंह और अंजलि राॅय।
इन दिनों उत्तर भारत में बसंत की बहार है। और ऐसे में महाकवि जयदेव की अष्टपदी ‘ललित लवंग लता परिशीलन‘ को प्रस्तुत करना, अपने-आप में बहुत समीचीन है। गुरू मधुमीता राउत ने इसका चयन किया यह उनकी सराहनीय दृष्टि है। इस अष्टपदी की संगीत रचना भुबनेश्वर मिश्र की थी और नृत्य परिकल्पना गुरू मायाधर राउत की थी। बसंत ऋतु की बहार अपनी चरम पर है। सभी वृक्ष और लताएं कुसुमित-पल्लवित हैं। ऐसे समय में राधा कृष्ण के लिए व्याकुल हैं और सखी से कृष्ण के बारे में पूछती है। लास्यपूर्ण इस प्रसंग को अभिनय के जरिए चित्रित किया गया। इसमें नित्य पंत, प्रणति मालू, तारिणी सिंह, अकेशा जैन और अंजलि राॅय शामिल थे।
अभिनय अगली पेशकश थी। मध्य युगीन उड़िया गीत ‘नाचंति कृष्ण‘ पर आधारित थी। यह उड़िया राजा ब्रम्हाबर बीरबर राय की रचना है। इसकी नृत्य परिकल्पना गुरू मायाधर राउत ने की है। संगीत रचना बंकिम सेठी ने की थी। यह राग आरभि में निबद्ध थी। इस पेशकश मंे अभिनय पक्ष का सुंदर विवेचन प्रस्तुत किया।
राग बैरागी पर आधारित बैरागी पल्लवी पेश किया। ओडिशी की तकनीकी पक्ष को विस्तार दिया गया। ओडिशी की विभिन्न भंगिमाओं और करणों को लयात्मक गतियों के जरिए निरूपित किया। उनकी अंतिम पेशकश दशावतार थी। इसमें विष्णु के दस अवतारों को वर्णित किया गया। दोनो ही नृत्य रचनाएं गुरू मायाधर राउत की थीं। इसमें प्रीति परिहार, डाॅ प्रियंका, वसुंधरा चोपड़ा, नित्या, प्रणति, तारिणी सिंह और अकेशा जैन ने नृत्य पेश किया। शिष्याओं का आपसी संयोजन और तालमेल संतुलित था। इससे उनके रियाज का सहज ही भान हो रहा था। कोविड के इस कठिन दौर में गुरू मधुमीता शिष्याओं के मनोबल को कला के जरिए बनाए हुए हैं। उन्हें कला से जोड़े हुए हैं, यह बड़ी बात है।
Wednesday, April 7, 2021
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