दीक्षा समारोह का आयोजन
शशिप्रभा तिवारी
इन दिनों राजधानी में सांस्कृतिक गतिविधयां धीरे-धीरे होनी शुरू हो गया है। इसी क्रम में संस्कृति मंत्रालय, संगीत नाटक अकादमी और कथक केंद्र की ओर से दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में जयपुर घराने की गुरू नंदिनी सिंह ने कथक नृत्य और परंपरा के बारे में बताया। जबकि, अन्य कलाकारों ने समारोह में अपनी-अपनी पेशकश से उपस्थिति दर्ज किया।
पांच दिवसीय समारोह का आरंभ श्रुति सांगीत सत्र से हुआ। बाईस फरवरी को समारोह की पहली पेशकश प्रदीप कुमार पाठक की थी। उन्होंने तीन ताल में बनारस और लखनऊ घराने का अंदाज पेश किया। सतीश शुक्ल ने कथक के ताल पक्ष पर चर्चा किया। वहीं, पंडित विश्वनाथ मिश्र ने कथक केंद्र के ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि के बारे में चर्चा किया। उन्होंने कथक नृत्य और तबले के बोलों के अंतर व उनके सामंजस्य के बारे में विस्तार से बताया। इसके अलावा, पंडित फतह सिंह गंगानी ने पखावज वादन पेश किया।
इस समारोह में गजल गायक जितेंद्र सिंह ने गायन पेश किया। उन्होंने गणेश वंदना ‘प्रथम सुमिर श्रीगणेश‘ से गायन का आगाज किया। इसके बाद, पंडित बिंदादीन महाराज रचित भजन ‘ऐसो राम हैं दुखहरण‘ को सुरों में पिरोया। पंडित बिरजू महाराज की रचना को उन्हांेने अपने सुरों में ढाला। फिर, शायर बिस्मिल की गजल ‘महफिल में बार-बार उसी पर नजर गई‘ और शायर कमर जलालाबादी की गजल ‘मेरा खामोश रहकर भी तुम्हें सब कुछ सुना देना‘ की पेशकश मोहक रही। गायक जितेंद्र ने होली ‘आज बृज में होरी रे रसिया‘ को गाया। उन्होंने बनारस घराने की खास होली ‘खेलें मसाने में होली दिगंबर‘ पेश की। पंडित छन्नू लाल मिश्र की गाई इस होली को जितेंद्र सिंह ने अपने अंदाज में गाया। अपनी गायकी का समापन राग भैरवी से किया। उनकी गायकी को तबला वादक राहुल विश्वकर्मा और बांसुरी वादक अतुल शंकर ने और रसमय बना दिया।
दीक्षा समारोह की खास आकर्षण वरिष्ठ गुरू और कथक नृत्यांगना नंदिनी सिंह थीं। उन्होंने जयपुर घराने की विरासत को बखूबी पेश किया। गुरू नंदिनी सिंह ने टुकड़े, तिहाई, परण, गत निकास, गत भाव आदि की बारीकियों को हस्तकों और मुद्राओं के जरिए दर्शाया। उन्होंने बताया कि कथक नृत्य सीखने के लिए देखना, परखना और सीखना जरूरी है। एक समय था कि जब हम घंटों रियाज करते थे तो पसीने-पसीने हो जाते थे। कथक में घराने के बजाय सुंदर और अतिसंुदर कथक कहना बेहतर है। कथक एक लंबी यात्रा है इसे लगातार साधना से सीखा और संवारा जा सकता है।
कथक नृत्यांगना नंदिनी सिंह के साथ संगत करने वाले कलाकारों में शामिल थे-तबले पर शकील अहमद, सारंगी पर नासिर खां और गायन पर इमरान खां। उनकी शिष्याएं सौम्या, ख्याति, प्रियंका, श्रीवर्णा, शेफाली और डाॅ ़ऋचा दुआ ने नृत्य किया।
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