बहुत कुछ चटका
उसके जाने के बाद
पर थोड़ी-सी भी आवाज़ नहीं हुई
ख़ामोशी में
दब गई सारी किलकारी
समझ नहीं आता
बिना आहट के
सब अचानक कैसे उजड़ गया
सब बातें-किस्सों में उलझे थे
किसी ने नहीं सुना
मेरे मन का रुदन
वह रोता था
अपने उजड़े चमन को देख कर
बिलखते मासूमों को देख कर
केशव! हर डोर तुम्हारे हाथ है
तुम जो करते हो, वह अच्छा होता है
उसके जाने के बाद
पर थोड़ी-सी भी आवाज़ नहीं हुई
ख़ामोशी में
दब गई सारी किलकारी
समझ नहीं आता
बिना आहट के
सब अचानक कैसे उजड़ गया
सब बातें-किस्सों में उलझे थे
किसी ने नहीं सुना
मेरे मन का रुदन
वह रोता था
अपने उजड़े चमन को देख कर
बिलखते मासूमों को देख कर
केशव! हर डोर तुम्हारे हाथ है
तुम जो करते हो, वह अच्छा होता है
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