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Sunday, September 22, 2024

#आज के कलाकार-शशिप्रभा तिवारी @मेरा नृत्य -वाशिम राजा

                                    #आज के कलाकार-शशिप्रभा तिवारी 

                                         @मेरा नृत्य गुरु की कृपा है-वाशिम राजा

आज के युवाओं प्रतिभा की बहुमुखी है। वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव नजर आते हैं। एक ओर कुछ युवा उसका सदुपयोग कर अपना करियर को बना रहे हैं, तो दूसरी ओर लाॅ के क्षेत्र में बहुत से युवा करियर बनाते हुए, नजर आ रहे हैं। इसके इतर एक ऐसा युवक वाशिम राजा हैं, जो इन दिनों शास्त्रीय नृत्य जगत में अपने नृत्य को लेकर बराबर चर्चा में बने हुए हैं। 

पिछले दो वर्ष से वह लगातार विभिन्न मंचों पर कभी सामूहिक, कभी युगल तो कभी एकल नृत्य प्रस्तुत कर रहे हैं। कुचिपुडी नर्तक वाशिम राजा ने बचपन में नृत्य सीखना शुरू किया था। तब वह भरतनाट्यम और गौड़िया नृत्य सीखते थे। साथ ही लाॅ की पढ़ाई पूरी करके, बतौर लाॅ प्रोफेशनल प्रैक्टिस कर रहे थे। वर्ष 2018 में वह कुचिपुडी नृत्य गुरु वनश्री राव के संपर्क में आए और कुचिपुडी नृत्य सीखना शुरू किया। इसमें वह ऐसे रम गए कि उन्होंने लाॅ प्रैक्टिस छोड़ दिया और पूरी तरह प्रोफेशनल डांसर बनना तय कर लिया। 

बहरहाल, हाल ही में उन्हें राजगोपाल बेस्ट मेल सोलोइस्ट अवार्ड की घोषणा की गई है। यह सम्मान उन्हें तीस नवंबर को आशीष मोहन खोकर के एटेंडेंट डांस एन्वल अवार्ड 2024 में प्रदान किया जाएगा। इस अवसर पर उनकी गुरु को रूक्मिणी देवी ओवर आॅल कंट्रीबुशन अवार्ड दिया जाएगा। यह समारोह बंग्लौर में आयोजित होना है। इस सम्मान के अलावा, उन्हें युवा नृत्य रत्न प्रभास सम्मान और भी कई अवार्ड मिले। पर सबसे बड़ी बात कि संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डाॅ संध्या पुरेचा ने उनके ऊर्जापूर्ण नृत्य देखकर इतनी प्रभावित हुईं कि उन्हें ‘महादेव-महेहश्वर‘ के नाम से पुकारती हैं। वाशिम पिछले कुछ महीने से लगातार दिल्ली, मुम्बई, बंगलौर, बड़ौदा, चेन्नै आदि शहरों में नृत्य पेश कर रहे हैं। अभी कुछ दिनों पूर्व वह तिजारा किले के महल-नीमराना में अपनी गुरु वनश्री राव के साथ नृत्य प्रस्तुत किया। इस समारोह में उन्होंने जगदोद्धारण, कालिया नर्तनम, देव देवम ओर तिल्लाना आदि नृत्य रचनाओं को पेश किया। वहां उन्हें देखने के लिए संस्कृति विद् और लेखक डाॅ आशीष खोकर भी पहुंचे। इसे वह अपनी बहुत बड़ी उपलब्धि मानते हैं।






शास्त्रीय नृत्य कैसे सीखना शुरु किया?

कुचिपुडी नर्तक वाशिम राजा-मेरी मां को शास्त्रीय नृत्य में दिलचस्पी थी। इसलिए उन्होंने मुझे इस ओर प्रेरित किया। मुझे शास्त्रीय नृत्य के प्रति बचपन से ही आकर्षण था। मेरी मां ने मुझे प्रेरित किया। एक शाम मैं वनश्री राव मैडम का कुचिपुडी नृत्य देखा। उस शाम मैंने मन ही मन तय किया कि मैडम से कुचिपुडी नृत्य सीखना है। कार्यक्रम के बाद मैं उनसे मिला और उनसे अपने मन के बात को कहा कि मैं आपसे नृत्य सीखना चाहता हूं। शायद, वह शाम मेरे लिए एक नई शुरुआत थी।

 मैडम ने अपने घर पर आकर मिलने को कहा। उनके नृत्य की क्वालिटी और सिखाने का अंदाज अनूठा है। वह अपने शिष्य-शिष्याओं को ज्यादा से ज्यादा देना चाहती हैं। अब यह हमारी क्षमता और विवेक है कि हम उनसे कितना ले पाते हैं। वह डांस के साथ-साथ जिस रचना पर हम नृत्य करते हैं, उसके एक-एक शब्द की व्याख्या, एक-एक भाव के संदर्भ को वह बताती हैं। वह हमें आर्थिक, मानसिक, भावनात्मक आदि सभी स्तरों पर सहयोग करने को तैयार रहती हैं। 

अपने यादगार परफाॅर्मेंस के बारे में बताईए।

वाशिम राजा-पिछले वर्ष मैं गुरु जी के साथ कलाक्षेत्र गया था। वहां मुझे गुरु जी के साथ जगदोद्धारण करने का मौका मिला। गुरु वनश्री राव यशोदा और मैं कृष्ण की भूमिका में नृत्य किया। उस रोज भी मैं नृत्य करते हुए, बहुत भावुक हो गया था। यह सोचकर और भी दंग था कि ईश्वर की कैसी लीला है कि मुझे गुरु जी के साथ नृत्य करने का अवसर मिला। 

इस वर्ष मार्च में, गणेश नाट्यालय में पुरुष नर्तकों का एक उत्सव हुआ था। इस उत्सव में मुझे एकल नृत्य करने का अवसर मिला। इस उत्सव में अनेक समीक्षकों ने मेरे नृत्य को बहुत सराहा। इसके बाद, मैंने तय किया कि अब सिर्फ नृत्य की साधना करूंगा। और मैंने लाॅ की नौकरी छोड़ने का फैसला किया। फिलहाल, पूरी तरह डांस में हूं। गुरु जी कहती हैं, एके साधे सब सधे, सब साधे सब जाए। इसलिए मैं अब आपलोगों के सामने उपस्थित हूं। बाकी सब ईश्वर की मर्जी और किस्मत जिधर ले जाए। हमें उसी ओर ही चल देना है। 





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