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Sunday, December 3, 2023

कोणार्क समारोह की द्वितीय संध्या #@शशिप्रभा तिवारी

                                                                कोणार्क समारोह की द्वितीय संध्या

                                                                      @शशिप्रभा तिवारी


उड़ीस स्थित कोणार्क मंदिर के पृष्ठभूमि में कोणार्क समारोह आयोजित है। इस वर्ष समारोह की दूसरी संध्या में कुचिपुडी और ओडिशी नृत्य शैली का प्रदर्शन कलाकारों ने किया। दूसरी संध्या में दिल्ली से पधारे कलाकार गुरु जयराम राव और गुरु रंजना गौहर के निर्देशन में उनके साथी कलाकारों ने नृत्य प्रस्तुत किया। 34वे कोणार्क समारोह के दौरान उड़ीसा के पुलिस महानिदेशक सुनील कुमार बंसल और आयकर विभाग के निदेशक संजय बहादुर दर्शक दीर्घा की शोभा बढ़ा रहे थे।



कुचिपुडी डांस अकादमी के कलाकारों ने मोहक कुचिपुडी नृत्य प्रस्तुत किया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति का आरंभ ओमकार से किया। यह प्रस्तुति श्लोक ‘ओमकार विंदु संयुक्तम्‘ पर आधारित थी। इस नृत्य प्रस्तुति का आरंभ धीमी गति से हुआ, फिर धीरे-धीरे नृत्य का विस्तार जैसे-जैसे हुआ, इसकी परिणति शुद्ध नृत्त जतीस्वरम में हुई। जतीस्वरम् राग हिंदोलम और आदि ताल में निबद्ध था। गायक के वंेकटेश के मधुर गायन और संगत कलाकारों की संगति से जतीस्वरम में आगे नृत्य का विस्तार मनोरम बन पड़ा। उनकी अगली पेशकश दशावतार थी। महाकवि जयदेव की रचना ‘प्रलय पयोधि जले‘ राग मालिका और ताल मालिका में निबद्ध थी। बहुत ही संक्षिप्त अंदाज में विष्णु के दस अवतारों को नृत्यांगनाओं ने दर्शाया। इसमें नृत्य को बेवजह विस्तार नहीं दिया गया था। यती नारायण तीर्थ रचित दुर्गा तरंगम कुचिपुडी नृत्य शैली में प्रस्तुत किया गया। इसके शुरूआत में दुर्गासप्तशती के श्लोक के अंश ‘प्रथम शैलपुत्री द्वितीयम् ब्रह्मचारिणी‘ के जरिए नृत्यांगनाओं ने देवी के नौ रूपों को दर्शाया। फिर, रचना ‘जय-जय दुर्गे‘ व ‘सरस नुपुर पादे‘ के माध्यम से देवी के महिषासुरमर्दिनी रूप का विवेचन विस्तार से किया। नृत्य की पराकाष्ठा तरंगम का विशेष अंदाज पीतल की थाली पर पदसंचालन में दिखा। विभिन्न ताल अवर्तनों में सौम्य, प्रभावशाली और ऊर्जा से पूर्ण नृत्य था। प्रस्तुति को प्रकाश प्रभाव और संगीत ने और भी प्रभावशाली बना दिया। इस प्रस्तुति का समापन तिल्लाना से किया। यह राग बसंत और आदि ताल में निबद्ध था। इसमें देवी के रूप का विवेचन था। रचना-वंदे दुर्गा कमला कमलदल विहारिणी थी। 



ओडिशी नृत्यांगना रंजना गौहर की संस्था कुचिपुडी डांस अकादमी के कलाकारों ने नृत्य रचना साक्षात्कार से किया। यह नंदिकेश्वर के अभिनयदर्पण के श्लोक पर आधारित ‘आंगिकम भुवनम आहार्यम्‘ पर आधारित थी। यह राग दरबारी और एक, जती व खेम्टा ताल में निबद्ध था। दूसरी प्रस्तुति राधा-रानी के जीवन पर आधारित थी। इसके लिए उड़िया गीत ‘राधा रानी संगे नाचे मुरलीपाणी‘ का चयन किया गया था। यह राग पीलू और एक ताली में निबहद्ध था। अगली पेशकश पल्लवी थी। यह राग भैरव और एक ताली में थी। उनकी प्रस्तुति का समापन उड़िया गीत ‘राधा रानी रास रंग‘ से किया। इसमें कृष्ण, राधा और गोपिकाओं के विभिन्न भावों का विवेचन पेश किया गया। रास और होली के प्रसंगों के जरिए नृत्य को विस्तार दिया गया। इस प्रस्तुति की परिकल्पना ओड़िशी नृत्यांगना रंजना गौहर ने की थी। संगीत आचार्य बंकिम चंद्र सेठी और रामचंद्र साहू की थी। 





 


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