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Wednesday, November 15, 2023

shashiprabha: पंडित बिरजू महाराज को नृत्य नमन @शशिप्रभा तिवारी

shashiprabha: पंडित बिरजू महाराज को नृत्य नमन @शशिप्रभा तिवारी:                                                 पंडित बिरजू महाराज को नृत्य नमन                                                     @शशिप्रभ...

पंडित बिरजू महाराज को नृत्य नमन @शशिप्रभा तिवारी

                                                पंडित बिरजू महाराज को नृत्य नमन

                                                    @शशिप्रभा तिवारी

अनंत नृत्य डांस एकेडमी फाउंडेशन की स्थापना कथक नृत्य युगल रीतब्रत और शताब्दी ने किया है। वह राजधानी दिल्ली में पिछले कई सालों से अपने फाउंडेशन के माध्यम से कथक नृत्य सीखा रहे हैं। पिछले दिनों मयूर विहार फेज वन के कात्यायिनी सभागार में उन्होंने नृत्य समारोह नमन का आयोजन किया। फाउंडेशन की ओर से यह पहला सांस्कृतिक समारोह आयोजित किया गया था। इस आयोजन में फाउंडेशन की छात्राओं ने कथक नृत्य प्रस्तुत किया। इसके अलावा, गुरु मालती श्याम और उनकी शिष्याओं ने कथक नृत्य प्रस्तुत किया। 

नमन समारोह पंडित बिरजू महाराज की स्मृति में आयोजित किया गया। इस समारोह का आगाज रीतब्रत और शताब्दी की शिष्याओं की प्रस्तुति से हुआ। यह प्रस्तुति में तीन रचनाओं को शामिल किया गया था। ये रचनाएं थीं-श्याम मूरत मन भाए, तराना और श्रीकृष्ण निरतत थुंग-थुंग। इस प्रस्तुति को पेश करने वाली शिष्याएं थीं- अंजलि, अनुसा, रिया, भाव्या, अक्षिता, आशि, पदमाक्षी, काव्या, मीरा और राधिका। 



समारोह में गुरु मालती श्याम की शिष्याओं ने मोहक नृत्य पेश किया। उनकी प्रस्तुतियो में तराना, कवित्त और छंदों को शामिल की गई। रचना ‘घनघोर बादल घनन-घनन‘ पर कृष्ण जन्म प्रसंग को दर्शाना सुंदर था। वहीं एक छंद ‘अवतार लेकर प्रगटे भगवन‘ का विवेचन बेहतरीन था। पंडित बिरजू महाराज की इन रचनाओं का प्रस्तुतिकरण गुरु शिष्य परंपरा की एक अच्छी मिसाल थी। चैताल में कथक की तकनीकी पक्ष को खासतौर पर उभारा गया। इसमें लयकारी, थाट, तिहाई, गत निकास को पेश किया गया। रचना ‘जटा शोभित गंगा‘ को नृत्य में सुंदर अंदाज में दर्शाया गया। इस पेशकश में मालती शर्मा की शिष्याएं-अश्विनी सोनी, गौरी शर्मा, आंचल रावत, निकिता वत्स, शुभी मिश्र, संस्कृति पाठक और फाल्गुनी शामिल थीं। 


बिरजू महाराज की कथक परंपरा को गुरु मालती श्याम ने बखूबी संभाला है। वह पिछले चार दशक से अपनी नृत्य साधना से इस परंपरा को निरंतर समृद्ध करती रही हैं। यह सराहनीय है कि वह कथक केंद्र के अलावा, अपने निजी प्रयासों से कथक को नया फलक प्रदान किया है। उन्होंने अपनी प्रस्तुति का आगाज गणेश वंदना से किया। इसके बोल थे-गजमुख बदन लागे अतिसंुदर‘। उन्होंने तीन ताल में शुद्ध नृत पेश किया। उन्होंने विलंबित लय में उठान, आमद, परण-आमद, थाट पेश किया। मध्य लय में उन्होंने बंदिश की तिहाई को पेश किया। इसमें बादल और बिजली की गति को पेश किया। परमेलू में पक्षी के अंदाज को दर्शाया। वहीं गतों में सादी गत, रूख्सार की गत और घूंघट की गत को विशेष तौर पर प्रस्तुत किया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति का समापन अभिनय से किया। इसके लिए उन्होंने दादरा ‘छोड़ दे मोरी गुइयां संवरिया‘ का चयन किया था। 

इस समारोह में गुरु मालती श्याम ने बहुत परिपक्व नृत्य प्रस्तुत किया। उनके हर अंदाज में एक अनूठी चमक और बहाव था। जो शायद वर्षों के रियाज के बाद ही कोई कलाकार हासिल कर पाता है। उनकी इस पेशकश में संगत कलाकारों में शामिल थे-तबले पर योगेश गंगानी, पखावज पर शशिकांत पाठक, गायन पर जय दधीच, सारंगी पर नासिर खान। 



गुरु मालती श्याम के शिष्य और शिष्या-रीतब्रत चक्रवर्ती और शताब्दी सेनगुप्ता ने एक अच्छी शुरुआत की है। उन्होंने बहुत मन से विशिष्ट अतिथियों को आमंत्रित किया था। इस आयोजन में गुरु गीतांजलि लाल, कथक नर्तक दीपक महाराज, कथक नृत्यांगना ममता महाराज, ओडिशी नृत्यांगना कविता द्विवेदी और तबला वादक पंडित गोविंद चक्रवर्ती शामिल होने से इस समारोह की रौनक और बढ़ गई। 


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